Chhattisgarh

कोरबा जनपद में पदस्थ एस के पाण्डेय की शिकायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी से,इंक्रीमेंट में छेड़छाड़ कर भर्ष्टाचार में शामिल बाबू की तनख्वाह CEO से अधिक?

छत्तीसगढ़/कोरबा

भागवत दीवान 

 

जनपद पंचायत कोरबा में पदस्थ एस के पाण्डेय सहायक ग्रेड 2 इन दोनों फिर से सुर्खियों पर है पाण्डेय के खिलाफ सिविल सेवा आचरण अधिनियम व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत वसूली की शिकायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत कोरबा के साथ-साथ संचनालय तक हो चुकी है। आपको बता दे एस के पांडे पूर्व में जनपद पंचायत कोरबा की परियोजना संचालित खाते से अपने निजी खाते में लगभग 350000 रुपए की राशि नियम विरुद्ध अपने निजी खाते में स्थानांतरण कर खूब सुर्खियां बटोर चुके हैं मामले में माननीय उच्च न्यायालय से राहत राहत तो जरूर मिल गई थी लेकिन उनके ऊपर लगने वाले अन्य शिकायतों पर करवाई में विलंब होना संरक्षण जैसा प्रतीत होता है।

शिकायतकर्ता ने अपने पत्र पर लिखा है एस के पांडे सहायक ग्रेट 2 की प्रथम नियुक्ति आदेश पदोन्नति आदेश स्थानांतरण आदेश सेवा पुस्तिका की प्रथम पृष्ठ शैक्षणिक योग्यताओं की सत्यापित प्रतिलिपि का पृष्ठांकित का उल्लेख करते हुए जानकारी सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत सत्यापित दस्तावेज मांगी गई थी लेकिन इस आवेदन को तृतीय पक्ष का हवाला देते हुए विधि विपरीत कार्यों पर पर्दा डालने की कोशिश की गई है।

आपको बता दें एस के पांडे की नियुक्ति एड हॉक के द्वारा किया गया था लेकिन इंक्रीमेंट में हेरा फेरी करते हुए वर्तमान में 90 से 91 हजार के वेतन का लाभ उठा रहे हैं जिसे जांच अति आवश्यक है यदि इस तरह की पुष्टि पाई जाती है तो यह गंभीर विषय है दूसरे शब्दों में यह कह सकते हैं एक CEO रैंक के अधिकारियों से भी ज्यादा तनख्वाह, कैसे संभव है एड हॉक की नियुक्ति का अर्थ होता है अस्थाई नियुक्ति जिसका उद्देश्य किसी पद की तत्कालीन व्यवस्था को पूरा करने के लिए किया जाना है स्थाई नियुक्ति के बाद यदि विभाग में कोई जिम्मेदार या उपयुक्त व्यक्ति उस कर्तव्य के लिए हो तो उसे किसी भी समय हटा दिया जाता है लेकिन जनपद पंचायत कोरबा में ऐसा नहीं हुआ आरोप है पांडे जी तो बड़े बाबू की जिम्मेदारियां को निभाते हुए कई भ्रष्टाचार और नियम विपरीत कार्य को अंजाम देते हुए उनके द्वारा जमकर मनमारी किया गया यहां तक दस्तावेजों में हेरा फेरी और साठ गांठ करते हुए इंक्रीमेंट तक को बढ़ा दिया गया ताकि अधिक वेतन का भी लाभ मिलता रहे। पूर्व में भी शासन के लाखो रुपए को अपने निजी खाते में स्थानांतरण करने के मामले में जमकर सुर्खियां बटोर चुके हैं।

 सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पांडे की पोल पट्टी ना खुले यही कारण है अपने सेवा पुस्तिका को अपने पास रखे है उनकी सेवा अवधि ज्यादा नहीं बची है यही कारण है वह चाहते हैं कि सेवा से पृथक होने के बाद जो होगा देखा जाएगा लेकिन इससे पहले जितना हो सके कोरबा में नियम विपरीत भ्रष्टाचार के कार्यों को अंजाम दिया जा सके ताकि काली कमाई से रिटायरमेंट के बाद किसी भी प्रकार की आर्थिक स्थिति खराब ना हो।

सवाल सबसे बड़ा यह है यदि किसी विभाग की नियुक्ति को चैलेंज किया जाए तो उसमें महत्वपूर्ण भूमिका नियुक्ति से संबंधित दस्तावेज की होती है ताकि उसके काले कारनामों के पत्ते को अलग किया जा सके लेकिन संबंधित जिम्मेदार अधिकारी इस मामले में पांडे का दिल खोलकर सहयोग कर रहे हैं और करें भी क्यों ना पांडे वही कर्मचारी है जिनके ऊपर तमाम तरह के आरोप शासकीय कार्यों में भ्रष्टाचार के लगते रहे हैं इसका प्रमाण है जनपद पंचायत कोरबा की जो परियोजना शाखा संचालित थी उस खाते से अपने निजी खाते में साढे तीन लाख रुपए का स्थानांतरण का मामला।

आखिर इस तरह के अधिकारियों को कहां से इतना संरक्षण मिलता है कि वह खुलेआम शासकीय नियमों और निर्देशों की धज्जियां उड़ाते रहते हैं मिली जानकारी के अनुसार जल्द से जल्द इस मामले पर कड़ी कार्रवाई होने के आसार हैं इस तरह के मामलों पर त्वरित कार्रवाई करने की आवश्यकता है ताकि नियम विपरीत कार्य करने वाले शासकीय सेवकों को समय पर बेनकाब किया जा सके। साथ ही इंक्रीमेंट पर छेड़छाड़ कर अधिक लाभ से अर्जित लाभांश की वसूली भी अति आवश्यक है ताकि भविष्य में इस तरह की पुनरावृत्ति ना हो।