
नई दिल्ली : सरकार ने आम तौर पर इस्तेमाल होने वाली लगभग तीन दर्जन से ज्यादा आवश्यक दवाइयों के रिटेल प्राइज तय किए हैं. केमिकल और फर्टिलाइजर मंत्रालय ने शनिवार को ड्रग्स (प्राइज कंट्रोल) ऑर्डर (DPCO), 2013 के प्रावधानों के तहत यह अधिसूचना जारी की।
नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) की ओर से जारी प्राइज सीलिंग इंफेक्शन, हार्ट डिजीज और सूजन से लेकर मधुमेह और विटामिन की कमी जैसी विभिन्न स्थितियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं को कवर करती हैं.
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रिपोर्टों के अनुसार ये नई कीमतें प्रमुख दवा कंपनियों द्वारा प्रोड्यूस और बेचे जाने वाले 35 दवाओं के लिए हैं. इनमें पैरासिटामोल, एटोरवास्टेटिन, एमोक्सिसिलिन, मेटफॉर्मिन जैसी दवाएं शामिल हैं. इसके अलावा इसमें हाल ही में शुरू की गई फिक्स्ड-डोज कॉम्बिनेशन दवाओं को भी कवर किया गया है, जिनका इस्तेमाल पुरानी बीमारियों के इलाज में किया जाता है.
एसीक्लोफेनाक और पैरासिटामोल
इतना ही नहीं इसमें एसीक्लोफेनाक, पैरासिटामोल और ट्रिप्सिन काइमोट्रिप्सिन का भी मिश्रण शामिल है जिसका उपयोग सूजन-रोधी के रूप में किया जाता है. डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज द्वारा बेची जाने वाली इस दवा की एक गोली की कीमत अब 13 रुपये और कैडिला फार्मास्युटिकल्स द्वारा बेची जाने वाली गोली की कीमत 15.01 रुपये होगी.
इससे एक और बड़ा बदलाव कार्डियोवैस्कुलर दवा में हुआ है, जो एटोरवास्टेटिन 40 मिलीग्राम और क्लोपिडोग्रेल 75 मिलीग्राम के कॉम्बिनेशन में आती है. अब क्लोपिडोग्रेल 25.61 रुपये प्रति गोली की दर से बिक रही है. बच्चों के लिए सेफिक्साइम और पैरासिटामोल संयोजन सहित ओरल सस्पेंशन को भी इसमें शामिल किया गया है. विटामिन डी के लिए कोलेकैल्सिफेरॉल ड्रॉप्स और डाइक्लोफेनाक इंजेक्शन (31.77 रुपये प्रति मिलीलीटर) जैसे महत्वपूर्ण सप्लीमेंट भी अधिसूचित किए गए हैं.
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सिटाग्लिप्टिन और मेटफॉर्मिन हाइड्रोक्लोराइड कॉम्बिनेशन
एंटी- डायबिटिक कैटेगरी में एम्पैग्लिफ्लोजिन, सिटाग्लिप्टिन और मेटफॉर्मिन हाइड्रोक्लोराइड के कॉम्बिनेशन, जो टाइप 2 डायबिटीज के इलाज के लिए महत्वपूर्ण हैं, अब 16.50 रुपये प्रति टैबलेट तक सीमित हैं. कोलेस्ट्रॉल मैनजमेंट के लिए एटोरवास्टेटिन-एजेटिमीब, एलर्जी और अस्थमा के लिए बिलास्टाइन-मोंटेलुकास्ट जैसी दवाओं को भी मूल्य निर्धारण स्लैब में शामिल किया गया है.
NPPA ने बताया कि अधिसूचित मूल्य जीएसटी-मुक्त हैं, जिन्हें जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त रूप से वसूला जा सकता है. निर्माताओं को इंटिग्रेटेड फार्मास्युटिकल डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम (IPDMS) के माध्यम से फॉर्म-V में रिवाइज प्राइज लिस्ट जारी करनी होगी और उसे एनपीपीए और राज्य औषधि नियंत्रकों को भेजना होगा. खुदरा विक्रेताओं और डीलरों को DPCO 2013 के पैराग्राफ 24 के तहत नई कीमतों को प्रमुखता से प्रदर्शित करना आवश्यक है.
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नई दरों का पालन न करने पर होगी कार्रवाई
रेगुलेटर ने कहा है कि नई दरों का पालन न करने पर डीपीसीओ और आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत दंडनीय अपराध माना जाएगा और अतिरिक्त वसूली गई राशि ब्याज सहित वसूली जाएगी. इन व्यक्तिगत फॉर्मूलेशन और कंपनियों के लिए सभी पूर्व मूल्य आदेश इस नवीनतम अधिसूचना द्वारा प्रतिस्थापित कर दिए गए हैं. अधिकारियों का कहना है कि इस कदम से देश में आवश्यक दवाओं की सामर्थ्य, पारदर्शिता और उपलब्धता में सुधार होगा.