टेमर के वैवाहिक कार्यक्रम में दिखी छत्तीसगढ़ी परंपरा व परिधान की धमक…
जिला रिपोर्टर सक्ती- उदय मधुकर

सक्ती।। आज के दौर में जहां लोग आधुनिकता के प्रभाव में आकर अपनी परम्परा व संस्कृति से विमुख होते नजर आते हैं तो वहीं ऐसे सोच वाले लोग भी हैं जो न केवल अपनी परंपरा व संस्कृति से जुड़े हुए हैं बल्कि उसे जीवंत बनाए रखने सतत् प्रयत्नशील मी रहते हैं। सक्ती जिले के टेमर गांव में 10 व 11 मई को सतनामी समाज के एक परिवार में सम्पन्न हुए एक शादी समारोह में इसकी बानगी देखने को मिली जहां महिलाएं वैवाहिक कार्यक्रम के दौरान छत्तीसगढ़ की संस्कृति व रिती रिवाज से लीपटी नजर आई। सभी महिलाएं सहित युवतियां भी जहां पारंपरिक परिधान लुगरा पहने नजर आईं । इस दौरान पारंपरिक लिबास पहने महिलाओं ने नगमोरी, सूता, तोरा, बिछिया, झूमका, करधनी, मुंदरी, पटिया, झुमकी, लहुंटी, कड़ा आदि श्रृंगार भी किया था। जो छत्तीसगढ़ी संस्कृति व परंपरा को जीवंत बना दिया था। शादी कार्यक्रम के अलग-अलग पलों जैसे चुलमाटी, मायन, हल्दी, मेहंदी सहित अन्य सभी महत्वपूर्ण पलों में इसकी नुमाईश कर इसे जीवंत बनाने का सफल प्रयास किया गया। इस संबंध में टेमर निवासी तरूण कुर्रे व उमा कुर्रे ने बताया कि आज लोग आधुनिकता के प्रभाव में आकर पाश्चात्य सभ्यता व संस्कृति को अपनाने लगे हैं इसका असर हमारी आज की पीढ़ी पर पड़ रही है। बच्चे तथा युवा वर्ग अपनी खुद की समृद्ध परंपरा व संस्कृति को भूलती जा रही है। वैवाहिक कार्यक्रम में पारंपरिक छत्तीसगढ़ी परिधान व आभूषणों को धारण करने के पीछे हमारी मंशा आज की पीढ़ी खासकर बच्चों तथा युवाओं को इनसे रू ब रू कराने की सोच थी। विदित हो कि छत्तीसगढ़ में
मड़वा, चुलमाटी, मायन, देवताला, हरदियाही, मौरसौपना व कंकन बांधना, परघन, जेनवास, मंगरोहन, तथा मुंहदिखाई जैसे विवाह के प्रमुख रस्मों से है। जिससे गुजरकर ही विवाह सम्पन्न होता है। इन पलों में अपनी परंपरा, परिधान का प्रदर्शन अपनी संस्कृति व पारंपरिक मान्यताओं को मजबूती प्रदान करने के साथ उसे जीवंत बनाए रखने की कोशिश है।