घर में जहरीले नाग के 12 से अधीक बच्चों का डेरा, जितेन्द्र सारथी ने 52 किलोमीटर सफर तय कर 8 घण्टे तक कड़ी मशक्कत कर सफलतापूर्वक रेस्क्यू को दिया को दिया अंजाम…

छत्तीसगढ़ – बारिश का मौसम आते ही ज़मीन में रेंगने वाली मौत का सामना अक्सर होता रहता हैं पर यहीं मौत अगर हमारे घर पर ही अपना डेरा बना ले तो क्या हो…?
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घर में साप के बच्चो का मिलना कोरबा जिले के लिए अब एक आम बात हैं पर इस बार कोरबा के पड़ोसी जिले जांजगीर-चांपा के एक घर में बहुतायात मे सांप निकलने की यह पहली घटना हैं। यह खौफनाक मंजर प्रदेश के चांपा- जांजगीर जिले के नागरदा कुर्दा गांव में रहने वाले बृहस्पति कंवर के यहां की है, पूरा परिवार कुछ दिनों से खौफ के साये में रह रहे थे, बताया जा रहा है कि बृहस्पति कवर के घर के एक कमरे से जहरीले नाग सांप के छोटे-छोटे बच्चे एक-एक करके निकल रहे थे ,सभी इतना ज्यादा डर गए थे की कमरे के आस पास जाना ही बंद कर दिया और जब भी उस कमरे से सांप के बच्चें बहार निकलते तो डर के मारे वे एक एक कर के उन्हे मार देते, पर इतनी हिम्मत किसी में नहीं थी की उस कमरे को खोल कर ये देख सकें की आखिरकार नाग के बच्चें निकल कहां से रहें हैं। पूरी घटना आस पास के गांव में आग की तरह फैल गई पर कोई भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहे था की अंदर जाकर देखें। ऐसे करते कुछ दिन गुजर गए और एक एक कर के पांच बच्चें मारे गए, फिर भी जब सांप के बच्चों का निकलना बंद नहीं हुआ तो उन्होंने किसी तरह से स्नेक रेस्क्यू टीम अध्यक्ष वन विभाग सदस्य जितेन्द्र सारथी को इसकी जानकारी दी, जिस पर जितेन्द्र सारथी ने समझाइश देते हुए कहा अधिक दूरी होने के कारण पहुंचने में समय लगेगा, पर भी जल्द पहुंचने की कोशिश करेंगे , जिसके बाद जितेन्द्र सारथी अपने टीम नागेश सोनी के साथ गांव के लिए निकल पड़े , जो की कोरबा से 52 किलोमीटर दूर था, रास्ता ख़राब और अधीक दूरी होने के कारण पहुंचने में 2 घण्टे लग गए जिसके बाद रेस्क्यू ऑपरेशन चालू किया गया, घर वालों ने बताया की ये कमरा लम्बे समय से बंद है और डर से हम सब अन्दर प्रवेश नहीं कर पा रहे। मौके पर पहुंचे जितेंद्र सारथी ने रेस्क्यू शुरू किया, सर्वप्रथम कमरे में लगे ताले को तोड़ा गया, धीरे धीरे सभी सामान को बहार निकाला गया और जहां से साप के बच्चे निकल रहें थे उस दिवाल को तोरणा प्रारंभ किया गया, जैसे जैसे दिवाल को तोड़ कर खुदाई करते गए वैसे वैसे दिवाल और नीचे ज़मीन से एक एक कर 12 बच्चें निकाले गए, इस मंज़र को देखने के लिए पूरा गांव इकट्ठा हो गया था, उस भीड़ में शामिल बच्चें और महिलाएं ये देख कर आश्चर्य चकित थी की इतने सारे बच्चे निकल कैसे रहें, सब के मन में सब से ज्यादा इस बात की जिज्ञासा थी की उन बच्चों की मां कहा हैं,पर काफ़ी खुदाई के बाद भी उसकी मां नहीं मिली आशंका जताई गई की आंडो से बच्चें बाहर निकलते ही वो भी कहीं निकल कर चली गईं होगी इस तरह 8 घण्टे के कड़ी मेहनत भरे रेस्क्यू में 12 नाग के बच्चें निकले जिसके बाद घर वालों के साथ गांव वालों ने राहत की साँस ली और जितेन्द्र सारथी और उनकी टीम की मेहनत की तालिया बजा कर अभिवादन करते हुए प्रशंसा किया गया।
सफलतापूर्वक रेस्क्यू को अंजाम देने के बाद जितेन्द्र सारथी ने बताया की यह रेस्क्यू अपने आप में एक चैलेंज था कोरबा से 52 किलोमीटर दूर ऊपर से 8 घण्टे की कड़ी मेहनत के बाद घर वालों को राहत दिलाना और साप बच्चों की जान बचा पाना मेरे लिए गर्व का विषय अगर रेस्क्यू नहीं किया गया होता तो एक एक कर सांप के बच्चों को मार दिया गया होता साथ ही घर वाले एक बड़ी दुर्घटना का शिकार हो जाते, रेस्क्यू के उपरांत दोनों की सुरक्षित कर लिया गया है।