जांजगीर चांपा-बच्चों के सुपोषण के लिए माता का दूध ही सर्वोत्तम, डिब्बे का दूध बंद कर बच्चों को माता के दूध सेवन कराने का लिया गया संकल्प,
विश्व स्तनपान दिवस पर प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन

जांजगीर-चांपा,6 अगस्त,2021/गर्भवती, शिशुवती माताओं का आह्वान कर बताया गया कि डिब्बा बंद दूध का उपयोग बंद करें, बच्चों के सुपोषण के लिए माता का दूध ही सर्वोत्तम है।कार्यशाला में उपस्थित सभी माताओं को इसका संकल्प कराया गया।
आज विश्व स्तनपान सप्ताह अंतर्गत परियोजना जांजगीर एवं बलौदा का संयुक्त प्रशिक्षण सेक्टर जांजगीर शहरी अंतर्गत वार्ड- 20 के आंगनबाड़ी केन्द्र क्रमांक- 01 में आयोजित किया गया। कार्यशाला में परियोजना अधिकारी श्रीमती ज्योति तिवारी, डीएमसी यूनिसेफ दिव्या राजपूत दोनों परियोजना के समस्त पर्यवेक्षक तथा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका गर्भवती माताएं एवं शिशुवती माताएं उपस्थित थीं।
परियोजना अधिकारी द्वारा स्तनपान के महत्व एवं स्तनपान से पुरुषों और परिवार की जिम्मेदारी के बारे में बताया गया। डीएमसी यूनिसेफ दिव्या राजपूत द्वारा जन्म के एक घण्टे के अंदर स्तनपान कराने मां का पहला गाया म (कोलेस्ट्रम) जो शिशु को रोगों से बचाता है, इसका उपयोग नवजात बच्चों को पिलाने में अवश्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिशु का पहला रक्षक है माता का दूध, साथ ही छ माह तक केवल एवं इसके उपरांत उपरी आहार देने के साथ दो वर्ष तक स्तनपान निरंतर जारी रखें। कार्यशाला में स्तनपान कराने का तरीका एवं सावधानी के बारे मे हितग्राहियों को जानकारी दी गयी। डीएमसी यूनिसेफ दिव्या राजपूत द्वारा गर्भवती माता एवं शिशुवती माताओं को कोविड-19, का टीकाकरण कराने और इनके महत्व के बारे में बताया गया,जिससे माताएं जागरूक हो सकें। उन्होंने कोविड-19, के सावधानियां दो गज की दूरी मास्क है जरूरी, शारीरिक दूरी, 20 सेकण्ड तक हाथ धुलाई करना आदि सावधानियां,कोविड प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन करने का आह्वान किया।
प्रशिक्षण के अंत में उपस्थित महिलाओं से संकल्प करवाया गया कि डिब्बा बंद दूध का उपयोग बंद करें, माँ का दूध ही है सर्वोत्तम है।