कुसमुण्डा : भारी प्रदूषण से बीमार होता “हमारा कुसमुण्डा” , समस्या का हल करने के बजाय हो रही अनदेखी..
रिपोर्ट : ओम गभेल

छत्तीसगढ़/कोरबा : पूरा कुसमुण्डा क्षेत्र भारी धूल-डस्ट की मार झेल रहा है, इस मार को क्षेत्र के लिए बड़ी त्रासदी कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी। विकास अपने साथ विनाश लाता है यह सत्य है परन्तु उस विनाश को कम करना और रोकना मनुष्य जाति के हाथों में ही है। पुरे कुसमुण्डा क्षेत्र पर खदान की भारी कोल-डस्ट, जर्जर सड़को की धूल-डस्ट की काली आवरण छाई हुई है, ठंड के दिनों में यह छाया आपको बड़ी ही आसानी से देखने को मिल जाती है ।
सबसे पहले बात करेंगे सड़को की, क्योंकि पूरा कुसमुण्डा क्षेत्र भारिवाहन के चलने वालों मार्गो के किनारे ही बसा हुआ है, या यूं कहें कि कुसमुण्डा क्षेत्र के चारो ओर सिर्फ भारिवाहनो का ही मार्ग बचा हुआ है। जिसमे सबसे पहले बात कोरबा-कुसमुण्डा मार्ग की जिस पर प्रतिदिन हजारों वहानो के साथ हजारो लोग आवागमन करते है, यह मार्ग भारी जर्जर हो चुका है, सड़क के साथ-साथ सड़क के किनारे धूल की मोटी परत है जो भारिवाहनो कि वजह से उड़ कर सड़क पर चलने वालों के साथ-साथ आसपास में रहने वाले लोगो को अस्वस्थ कर रही है।
वहीं ईमली छापर से थाना चौक तक सी.सी. रोड बनी है, समय पर साफ सफाई नहीं होने की वजह से ईस मार्ग पर भी धूल की मोटी परत जम चुकी है। जो विकास नगर से आदर्श नगर की ओर जाने वाले लोगो को परेशान कर रही है। इसके अलावा थाना चौक कुसमुण्डा से दायीं तरफ मनगांव होते हुए गेवरा खदान जाने वाला मार्ग भी पूरी तरह से जर्जर हो गया है,भारी वाहनों के भारी दबाव से इसमे बड़े-बड़े गड्ढे हो गए है, भारीवाहनो के गुजरने से इस सड़क की धूल आधे आदर्श नगर को प्रदूषित करती है। बाकी आधे के लिए कोल साइडिंग और कबीर चौक से गेवराबस्ती बस्ती होते हरदीबाजार मार्ग है जिसमे भी भारिवाहनो की बड़ी आवाजाही है, थाना चौक से बाएं होते हुए सीजीएम गेट के सामने से कबीर चौक, गेवराबस्ती चौक होते धर्मपुर, नराइबोध से हरदीबाजार तक इस मार्ग पर भी 24 घण्टे भारी वाहनों का ही राज है। जिस वजह से भारी धूल यँहा भी लोगो को बीमार कर रही है।
ईमली छापर से आनन्द नगर बांकीमोंगरा जाने वाले मार्ग में कुचैना मोड़ तक सड़क बेहद जर्जर हो चुकी है, आगे रास्ता ठीक है थोड़ा ठीक है पर धूल-डस्ट की मोटी परत सड़क किनारे जमी हुई है, जो उड़ कर आसपास के लोगो को बीमार कर रही है।
SECL कॉलोनियो की सड़क कई जगहों पर ठीक तो हैं पर साफ सफाई के अभाव में यँहा भी धूल डस्ट की मार लोग झेल रहे है।
पूरे कुसमुण्डा क्षेत्र में जिस मार्ग पर गड्ढे है वे भी और जो मार्ग व्यवस्थित है, वे भी धूल डस्ट के निर्माता बन गए है, क्षेत्र में SECL प्रबन्धन है, नगर निगम है, प्रसाशन है, जिनके अधिकारी कर्मचारी व ठेकेदारों के मजबूत कंधों पर सभी सड़को की साफ सफाई की जिम्मेदारी है। सरकार आम लोगो के सांस लेने पर भी टेक्स वसूल रही है , हल्के वाहनो से लेकर भारी वाहनों के बनने से लेकर कबाड़ होने तक टेक्स ली जाती है, पर चलने के लिए, जीने के लिए रास्तों तक का ख्याल रखने से परहेज करते है, धांधली करते है, स्वयं भी इसी मार्ग से चलते है, सब देखते है फिर भी केवल देखते ही है।
कल करोड़ो रूपये खर्च कर फिर नई सड़क बन जाएगी, पर रखरखाव के अभाव में ये भी जर्जर व धूल डस्ट की जननी बन जाएगी।
जर्जर सड़को के अलावा गेवरा रोड रेल साइडिंग से भी भारी डस्ट हवा में घुल कर क्षेत्र को प्रदूषित कर रही है, खदान से सीधे लोड होकर ट्रकों के माध्यम से साइडिंग में आने वाले कोयले के डम्प होने से लेकर रेल के डिब्बो में लदान तक कोयले का डस्ट क्षेत्र में फैलने की मुख्य वजह बनता है, यँहा पानी छिड़काव की पूरी व्यवस्था है जो क्षेत्र के कुछ लोगो के विरोध के बाद कभी कभार ही की जाती है, बाकी बन्द ही रहती है।
इन भारी प्रदूषण से हर घर मे आज कम से कम एक व्यक्ति बीमार है, एलर्जी से लेकर गम्भीर बीमारी तक से लोग ग्रसित हैं। धूल डस्ट से न सिर्फ बाहरी त्वचा,आंख व बालों को नुकसान हो रहा है बल्कि अंदर से भी लोग दमा जैसी गम्भीर रोग से ग्रसित हो रहे हैं।लोगो मे रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो रही है।
प्रदूषण को कम करने का सबसे सार्थक उपाय पेड़-पौधे है, पर जैसे जैसे आबादी बढ़ रही है पेड़ काटे जा रहे है, मकान बनते जा रहे हैं।
कोयले की ऊर्जाधानी में एक तरफ लोग यँहा कूद-कूद कर पैसे कमा रहे है वही दुसरीं तरह धूल-डस्ट से बीमार होकर डॉक्टर के पास वही पैसे खर्च कर रहे हैं। इससे न सिर्फ उनके पैसे खर्च हो रहे बल्कि शरीर का भी उतना ही बड़ा नुकसान हो रहा है।
इस गम्भीर समस्या को सभी देख रहे हैं,सब जूझ भी रहे है,पर कोई भी इस पर बात नही कर रहा, कोई सार्थक पहल नहीं कर रहा, जबकि जरुरत है तो सिर्फ सबको एकराय होकर इस गम्भीर समस्या को हल करने की। अधिक से अधिक पौधे लगाने की, लगे हुए पेड़ो को बचाने की। सड़को के नियमित साफ सफाई करने की। भविष्य में कोई भी सड़क निर्माण हो तो किनारे तक हो क्योकि किनारे मिट्टी नही होगी तो धूल भी कम होगा। हम सबको जागरूक होकर इस समस्या के लिए बोलना होगा तभी जिम्मेदार लोग इसका हल करेंगे, नही तो जैसा आज चल रहा है उससे और बदतर कल हो जाएगा।