चीन ने जिस पैंगोलिन को बताया कोरोना की वजह, उसके साथ खेलते दिखे ग्रामीण..

INN24:कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन है. लॉकडाउन की वजह से सड़कों पर सन्नाटा है और लोग अपने घरों में कैद हैं. लॉकडाउन में शहरों में फैली शांति के कारण ही अब जंगलों में रहने वाले अति दुर्लभ प्रजाति के जानवर भी शहरों के अंदर दिखाई देने लगे हैं. ऐसे ही दुर्लभ जानवरों में से एक पैंगोलिन को शनिवार को झारखंड से बचाया गया है. दुनिया में सबसे अधिक अवैध रूप से पकड़े जाने वाले जानवरों में से एक पैंगोलिन है, जिसे यहां के कुछ ग्रामीणों ने पकड़ लिया था. ग्रामीणों का कहना है कि पैंगोलिन उन्हें खेत में घूमता दिखाई दिया था.
The most trafficked mammal, next only to humans is rescued at Jamtara district of Jharkhand.
This animal is severely stressed. But all rescues are to be videographed before shifting them to safety. The times we live😡 pic.twitter.com/stCfsBNc3w
— Susanta Nanda IFS (@susantananda3) April 20, 2020
भारतीय वन सेवा के अधिकारी सुसांता नंदा ने ट्विटर पर इस वीडियो को शेयर करते हुए गुस्सा जाहिर किया है. उन्होंने वीडियो के जरिए यह दिखाया है कि ग्रामीण पैंगोलिन को किस तरह से परेशान कर रहे हैं. झारखंड के कुछ ग्रामीणों ने पैंगोलिन को खेत में घूमता देखा तो उसे पकड़कर ले आए. इस बात की जानकारी जैसे ही वन विभाग के अधिकारियों को लगी उन्होंने इसकी सूचना स्थानीय थाने को दी.
सुसांता नंदा ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, आप देख सकते हैं कि पैंगोलिन कितना डरा हुआ है और वहां मौजूद लोग उसका वीडियो बना रहे हैं. नंदा ने ग्रामीणों के इस तरह पैंगोलिन के परेशान करने की निंदा करते हुए कहा कि वीडियो में आप देख सकते हैं कि किस तरह से लोग पैंगोलिन की पूंछ पकड़कर उसे परेशान कर रहे हैं.
गौरतलब है कि चीनी वैज्ञानिकों ने कुछ दिन पहले ही पैंगोलिन में ऐसे वायरस मिलने की पुष्टि की थी, जो पूरी दुनिया में बर्बादी फैला रहे कोरोना वायरस से मिलता-जुलता है. चीन की साउथ चाइना एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कुछ समय पहले ही कहा था कि कोरोना वायरस के लिए पैंगोलिन जिम्मेदार है. उनका दावा था कि इंसानों में संक्रमण फैलने की वजह पैंगोलिन है. उनका कहना था कि कोरोना वायरस चमगादड़ से पैंगोलिन और फिर पैंगोलिन से इंसान में पहुंचा. हालांकि, तब दुनियाभर के विशेषज्ञों ने रिसर्च पर सवाल उठाए थे.