हाथी के शावक की मौत : जिम्मेदार अधिकारी एक-दूसरे पर लगा रहे आरोप , वन मंडल बिलासपुर और ATR का क्षेत्र बताकर बचने की कोशिश
मुंगेली/बिलासपुर। टिंगीपुर के जंगल में करंट लगने से हाथी के शावक की मौत के मामले में वन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही और अज्ञानता ने पूरे विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घटना के बाद डीएफओ, एसडीओ और रेंजर न केवल अपने विभागीय दायित्वों को निभाने में असफल साबित हुए हैं, बल्कि उन्हें अपने वनमंडल की सीमा तक की जानकारी नहीं है। इस अनभिज्ञता और विभागीय गड़बड़ियों को छिपाने के लिए अधिकारी अब एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करने में व्यस्त हैं।
वन अधिनियम का उल्लंघन: नियमों की उड़ रही धज्जियां..
वन अधिनियम के तहत शिकार या अवैध गतिविधियों में पकड़े गए अपराधियों को 24 घंटे के भीतर कोर्ट में पेश करना अनिवार्य होता है। हालांकि, इस मामले में वन विभाग ने न केवल नियमों का उल्लंघन किया, बल्कि अपराधियों को रात भर अपनी हिरासत में रखा, जो कि अधिनियम के अनुसार अस्वीकार्य है। नियमानुसार पकड़े गए व्यक्तियों को निकटतम थाने में रखना अनिवार्य होता है, लेकिन वन विभाग ने इस निर्देश का पालन न करते हुए अपनी मर्जी से उन्हें रातभर वन चेतना केंद्र में रखा।
सूत्रों कि मानें तो इस घटना के बाद डीएफओ, एसडीओ और रेंजर का रवैया बेहद ढुलमुल और गैर-जिम्मेदाराना रहा। जब घटना पर सवाल उठाए गए तो अधिकारियों ने अपने क्षेत्राधिकार से इनकार करते हुए कहा कि करंट से हाथी शावक की मौत का क्षेत्र उनके वनमंडल का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह एटीआर (अचानकमार टाइगर रिजर्व) के अंतर्गत आता है। जबकि वास्तविकता यह है कि घटना स्थल से एटीआर की सीमा लगभग 2 किलोमीटर दूर है। इससे स्पष्ट है कि वन विभाग के अधिकारियों को अपने क्षेत्र की सटीक जानकारी तक नहीं है। यह लापरवाही न केवल विभाग की कार्यशैली को दर्शाती है, बल्कि वन्यजीव संरक्षण के प्रति उनकी उदासीनता को भी उजागर करती है।