Chhattisgarh

सभी शासकीय व अशासकीय क्षेत्र में छत्तीसगढ़ राज गीत “अरपा पैरी के धार” तथा “छत्तीसगढ़ महतारी” की तस्वीर को अनिवार्यता से लागु करने की छत्तीसगढ़ क्रांति सेना ने की मांग

सभी शासकीय व अशासकीय क्षेत्र में छत्तीसगढ़ राज गीत “अरपा पैरी के धार” तथा “छत्तीसगढ़ महतारी” की तस्वीर को अनिवार्यता से लागु करने की छत्तीसगढ़ क्रांति सेना ने की मांग

कोरबा – छत्तीसगढ़ प्रदेश के राज्यपाल के नाम जिला कलेक्टर को छत्तीसगढ़ क्रांति सेना ने सभी शासकीय व अशासकीय क्षेत्र में छत्तीसगढ़ राज गीत “अरपा पैरी के धार” तथा “छत्तीसगढ़ महतारी” की तस्वीर को अनिवार्यता से लागु करने की मांग को लेकर आज कोरब कलेक्ट्रेट कार्यालय में ज्ञापन सौंपा गया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ क्रांति सेना के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप मिरी,कोरबा जिलाध्यक अतुल महंत सहित बड़ी संख्या में संगठन से जुड़े लोग उपस्थित रहें। प्रदेश अध्यक्ष दिलीप मिरी ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य का गठन 1 नवम्बर सन 2000 संवैधानिक रूप से मध्यप्रदेश राज्य से अलग कर किया गया, ताकि इस क्षेत्र के छत्तीसगढ़िया लोगों का आर्थिक, शैक्षणिक, साँस्कृतिक रूप से विकास हो सके, और छत्तीसगढ़ के लोग समृद्ध हो सके, परंतु देखा गया है कि चुनाव के समय सभी राजनीतिक दल के लोग छत्तीसगढ़िया लोगों को लुभाने के लिए “छत्तीसगढ़ महतारी” की तस्वीर तथा छत्तीसगढ़ के राज गीत “अरपा पैरी के धार” को प्रचार के उपयोग में लाते है, परंतु चुनाव खत्म होने के बाद छत्तीसगढ़ महतारी की फोटो कहीं नजर नहीं आती और न ही राज गीत को कहीं सुनाया या बजाया जाता है, ऐसा ही उदाहरण इस वर्ष 2024 के छत्तीसगढ़ के राज्य महोत्सव में दिखाई दिया, छत्तीसगढ़िया लोगों के आराध्य छत्तीसगढ़ महतारी की फोटो राज्य महोत्सव से गायब थी, और राज गीत भी नहीं बजाया गया, जिसके वजह से हम सभी छत्तीसगढ़िया लोग काफ़ी निराश व अपमानित महसूस किए है, हमारे ही प्रदेश में हमारे “राजकीय गीत व छत्तीसगढ़ महतारी” उपेक्षित हो रहे है, तो आम छत्तीसगढ़ियाओं का क्या सम्मान होगा, जो काफ़ी दुखद है। उन्होंने प्रदेश के राज्यपाल के नाम कोरबा कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए छत्तीसगढ़ के सभी शासकीय/अशासकीय क्षेत्र में हमारे छत्तीसगढ़ के राज गीत “अरपा पैरी के धार” तथा “छत्तीसगढ़ महतारी” की तस्वीर को अनिवार्यता से लागु करने हेतु छतीसगढ़ सरकार को आदेशित/निर्देशित करने की मांग की ताकि 3 करोड़ छत्तीसगढ़ियों लोगों का सम्मान हो सके।

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