सक्ती में नियमों की उड़ रही धज्जियाँ: बिना सुरक्षा के चल रहा मेला, दुर्घटना का बढ़ा खतरा ..
जिला रिपोर्टर सक्ती- उदय मधुकर

मेला प्रभारी का फोन स्विच ऑफ, प्रशासन मौन; भीड़ और अव्यवस्था से रेल यात्रियों की परेशानी चरम पर ,
फायर ब्रिगेड, अग्निशामक, यातायात व्यवस्था सब नदारद—गोवा जैसे हादसे की आशंका, नागरिकों ने तत्काल कार्रवाई की मांग की ..
सक्ती, वार्ड क्रमांक 15 के रेलवे स्टेशन, रेलवे कॉलोनी, गुंजन स्कूल और जगन्नाथपुरम के आसपास 1 दिसंबर से 1 जनवरी 2026 तक लगाए गए वार्षिक मेले में सुरक्षा नियमों की जिस तरह अनदेखी हो रही है, उसे देखकर किसी भी समय बड़ा हादसा होने का अंदेशा गहरा गया है। शासन द्वारा तय गाइडलाइन को दरकिनार कर मेला संचालक ने मानो अव्यवस्था को ही व्यवस्था मान लिया है। स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि इस मेले में सुरक्षा के नाम पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति हुई है, जबकि वास्तविक स्थिति बेहद खतरनाक बनी हुई है।
मेले के पूरे परिसर में कहीं भी फायर ब्रिगेड वाहन, अग्निशामक यंत्र या आपातकालीन निकासी व्यवस्था नहीं दिखाई देती, जबकि प्रशासनिक अनुमति की पहली और मुख्य शर्त यही है। कई दुकानों में गैस सिलेंडर खुले में जलाए जा रहे हैं, पास ही झूले और भीड़ के बीच आग लगने की आशंका बनी रहती है। हाल ही में गोवा के एक नाइट क्लब में आग का भीषण हादसा हुआ था, जिसमें 25 लोगों की मौत हुई—और उसकी वजह भी यही लापरवाही बताई गई थी। सक्ती का यह मेला उसी तरह के किसी बड़े हादसे की जमीन तैयार करता दिख रहा है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि मेला प्रभारी से पिछले कई दिनों से न मुलाकात हो पा रही है और न ही फोन पर संपर्क। उनका मोबाइल लगातार स्विच ऑफ है, जिससे यह शक और गहरा रहा है कि वे जानबूझकर जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि गाइडलाइन में साफ लिखा है कि नियमों का पालन न करने पर अनुमति स्वतः निरस्त मानी जाएगी और संचालक के खिलाफ कार्रवाई अनिवार्य होगी। इसके बावजूद मेले में गतिविधियाँ बिना रोकटोक जारी हैं। प्रशासन की चुप्पी और निरीक्षण की कमी पर भी सवाल उठ रहे हैं।
इसी बीच रेलवे स्टेशन के आसपास रहने वालों और यात्रियों ने बताया कि मेले की भीड़ के कारण रेलवे स्टेशन से नाका चौक तक हर रोज जाम की स्थिति बन जाती है। ट्रेन पकड़ने वाले यात्री घंटों फंसे रहते हैं। कई बार भीड़ और अव्यवस्था के कारण लोग समय पर स्टेशन नहीं पहुंच पाते और उनकी गाड़ियाँ छूट जाती हैं। न तो मेले के संचालक की ओर से कोई वालंटियर व्यवस्था है और न ही प्रशासन की ओर से यातायात नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त पुलिसकर्मी तैनात। स्थिति इतनी बदतर है कि किसी भी शाम अफरा-तफरी की स्थिति पैदा हो जाती है।
ध्यान देने योग्य है कि मेला संचालक ने प्रशासन को दिए आवेदन में मारूति मोटर साइकिल का कुआँ, ब्रेक डांस झूला, बड़ा टावर झूला, टोरा-टोरा, ड्रेगन ट्रेन, विदेशी फिसबी, बड़ा नाव झूला, सुनामी झूला, विदेशी रेंजर झूला, बच्चों के झूले, वाटर बोट और मिन्ना बाजार सहित कई बड़े झूलों की अनुमति मांगी थी। इतने बड़े सेटअप के लिए सुरक्षा प्रबंध और भी सख्त होने चाहिए थे, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ भी तैयार नहीं है।
शासन की गाइडलाइन के अनुसार मेले में पुलिस एनओसी, फायर ब्रिगेड, अग्निशामक यंत्र, कचरा प्रबंधन, यातायात नियंत्रण, लाउडस्पीकर की समयसीमा और 100 मीटर के दायरे में अस्पताल, विद्यालय, ट्रांसफार्मर या घनी आबादी होने पर अनुमति स्वतः रद्द होने जैसी महत्वपूर्ण शर्तें होती हैं। लेकिन इन अधिकांश नियमों का खुला उल्लंघन हो रहा है।
स्थानीय नागरिकों ने चेताया है कि यदि प्रशासन तत्काल हस्तक्षेप नहीं करता, तो यह लापरवाही गोवा जैसी त्रासदी को दोहरा सकती है। मेला प्रभारी की अनुपलब्धता, सुरक्षा की कमी और नियमों के खुले उल्लंघन पर वे तत्काल जांच और कठोर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।





