
शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय में.”गांधी जी के दर्शन एवं देशभक्ति”पर व्याख्यान…सेवा ही देशभक्ति है, सेवा में संतुष्टि है और सेवा ही शक्ति है : पद्मश्री धर्मपाल सैनी
जगदलपुर inn24.शहीद महेंद्र शर्मा विश्वविद्यालय बस्तर जगदलपुर के बी.एड. अध्ययनशाला भवन में 31 जुलाई को “गांधी जी के दर्शन एवं देशभक्ति” पर व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया. उक्त कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पद्मश्री श्री धर्मपाल सैनी उपस्थित रहे. कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रोफेसर मनोज कुमार श्रीवास्तव ने किया. विशिष्ट अतिथि अभिषेक कुमार बाजपेई, कुलसचिव उपस्थित रहे. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के मानवविज्ञान अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ. स्वपन कुमार कोले, प्राध्यापक, राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ के समन्वयक डॉ. डी.एल.पटेल, विश्वविद्यालय के सहायक कुलसचिव (प्रशासन) एवं जनसंपर्क अधिकारी श्री सी.एल.टंडन सहित विश्वविद्यालय के शिक्षक एवं छात्राएं उपस्थित रहे.
कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती के छायाचित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन कर किया गया. तत्पश्चात मुख्य अतिथि श्री धर्मपाल सैनी का स्वागत कुलपति द्वारा किया गया. स्वागत उद्बोधन डीन स्टूडेंट वेलफेयर डॉ. आनंद मूर्ति मिश्रा द्वारा किया गया. उनके द्वारा मुख्य अतिथि का परिचय दिया गया. उन्होंने बताया कि पद्मश्री श्री धर्मपाल सैनी ने जीवन पर्यंत जनकल्याण तथा बालिकाओं की शिक्षा एवं खेलकूद के विकास पर कार्य किया. वह भारत के महान संत आचार्य विनोबा भावे के शिष्य रहे और उनके निर्देश पर 1976 में बस्तर आए. समाज सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया. इसके अलावा उन्हें अनेक प्रतिष्ठित संस्थानों के द्वारा विभिन्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया बस्तर संभाग में माता रुकमणी के नाम पर अनेक आश्रम संचालित किए जा रहे हैं, जिसमें बस्तर क्षेत्र की बालिकाओं के शिक्षा एवं विकास के लिए कार्य किया जा रहा है।
अतिथि मुख्य अतिथि श्री पद्मश्री धर्मपाल सैनी जी ने गांधी महात्मा गांधी के दर्शन पर अपने विचार रखते हुए बताया कि देशभक्ति का अर्थ केवल त्याग नहीं है, बल्कि देश हित में ज्ञान, वस्तु, चरित्र आदि का उत्पादन भी देशभक्ति है. उन्होंने देशभक्ति को सेवा माना और तत्कालीन मध्यप्रदेश राज्य के मालवा क्षेत्र में पूर्व से ही उनके द्वारा बालिकाओं की शिक्षा के लिए स्कूल संचालित किए जा रहे थे. अपने गुरु आचार्य संत विनोबा भावे के निर्देश पर बस्तर में बालिकाओं के शिक्षा के लिए बस्तर आए और बस्तर में बालिकाओं के शिक्षा की शुरुआत की. शुरुआती दौर में उन्हें बालिकाओं को शिक्षा देने के लिए काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, परंतु उनके दृढ़ इच्छा एवं जनकल्याण की भावना से प्रेरित होकर बस्तर के स्थानीय लोगों ने अपने बालिकाओं को शिक्षा प्राप्त करने के लिए उनके सानिध्य में भेजा. उन्होंने कहा कि सत्य और अहिंसा के साथ-साथ श्रम और निष्ठा गांधी जी के दर्शन का मूल तत्व है. गांधी के दर्शन की छाप भारत के सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक इतिहास में स्पष्ट देखने को मिलता है. गांधी ने सत्य का साक्षात्कार किया. वह भारत में ग्राम स्वराज की स्थापना करना चाहते थे. उन्होंने गुलामी, धर्म, जाति, संप्रदाय के आधार पर होने वाले भेदभाव और छुआछूत को समाप्त करना चाहते थे. उन्होंने कहा कि देश और समाज के विकास के लिए रक्त, आंसू और पसीने बहाने के लिए युवाओं को हमेशा तैयार रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि सेवा करने के लिए कुछ लेना नहीं पड़ता है, केवल देना ही पड़ता है. उन्होंने यह भी कहा कि रोज रोज नया कार्य करें, नियमित सफाई कार्य करें, नई सोच भी एक नया कार्य है. गांधी जी ने भारत की स्वतंत्रता के पूर्व अंग्रेजियत को नकारा क्योंकि अंग्रेजियत में हिंसा और साम्राज्यवाद का बोध होता है. उन्होंने विषम परिस्थितियों में भी धैर्य, सहिष्णुता, मनोबल एवं सामर्थ्य नहीं खोया. भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद कराने के लिए उन्होंने सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह जैसे विकल्पों का सहारा लिया. उन्होंने वह सभी कार्य करने का संकल्प लिया और करके दिखाया, जो अछूत समाज के लोगों को समाज में करना पड़ता था. खेती के बाद सबसे बड़ा उद्योग कपड़ा उद्योग था. अतः उन्होंने चरखा अपनाया, सूट कातने लगे और कपड़ा बनाकर पहनने लगे. इससे भारत के लोगों में स्वरोजगार के लिए जनजागृति आई. उन्होंने बताया कि सेवा में ही संतुष्टि है और सेवा में ही शक्ति है. सत्य, अहिंसा एवं संस्था श्रम-निष्ठा गांधी जी के दर्शन के मूल तत्व हैं.कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रोफेसर मनोज कुमार श्रीवास्तव ने पद्मश्री धर्मपाल सैनी जी के जन कल्याणकारी और बालिका शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कार्यों की भूरी भूरी प्रशंसा की. उनके द्वारा किए गए कार्य अनुकरणीय हैं और बस्तर क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए कार्य को आगे बढ़ाने के लिए सैनी जी की तरह ही लोगों की आवश्यकता है. उन्होंने बस्तर की बालिकाओं को नवजीवन दिया, उन्होंने बस्तर की बालिकाओं को शिक्षा और ज्ञान से पल्लवित किया. उन्होंने श्री सैनी जी को आचार्य संत शिरोमणि ऋषि तुल्य माना. गांधीजी ने डर से जीत कर सत्य का साक्षात्कार किया. आधुनिक जीवन शैली में गांधी के दर्शन एवं विचार आज भी प्रासंगिक हैं. उन्होंने राज्य और धर्म को परिभाषित किया. भारत का दर्शन, जो भारत के संविधान के राज्य नीति निर्देशक तत्व में उल्लेखित है, का गांधी जी के दर्शन से काफी गहरा संबंध है. सत्य का इस्तेमाल किसी को चोट पहुंचाने के नहीं करना चाहिए. अहिंसा में जो शक्ति है वह हिंसा में नहीं है. श्री धर्मपाल सैनी जी के विचारों का नियमित श्रवण करना चाहिए, ताकि उनके विचार हम सभी के मन मस्तिष्क में हमेशा स्मरण में रहे. कुलपति ने स्वामी विवेकानंद जी के जी पर लिखित पुस्तक राजयोग तथा महात्मा गांधी जी के पर लिखी भीकू पारीक की किताब का अध्ययन करने का छात्र छात्राओं को सहयोग आह्वान किया.
इस अवसर पर कुलसचिव श्री अभिषेक कुमार बाजपेई ने कहा कि गांधी जी के चिंतन सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, सर्वोदय पर आधारित है. जो कार्य हम स्वयं नहीं कर सकते, उसकी अपेक्षा अन्य से नहीं करनी चाहिए और जो जिस कार्य की अपेक्षा करते हैं, उसे सबसे पहले स्वयं को करना चाहिए. उन्होंने छात्र-छात्राओं को स्वस्थ होकर गांधी दर्शन क्लब बनाने का आह्वान किया, जिसका संचालन छात्र-छात्राएं स्वयं करेंगे. विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा गांधी दर्शन क्लब के संचालन में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा, परंतु संचालन में अधिकतम सहयोग अधिकारियों, शिक्षकों द्वारा किया जाएगा. उन्होंने गाँधी जी के दर्शन चरितार्थ करने के लिए विश्वविद्यालय परिसर में साफ सफाई एवं स्वच्छता कार्य करने का आह्वान किया.
विश्वविद्यालय की ओर से प्रोफेसर मनोज कुमार श्रीवास्तव एवं कुलसचिव श्री अभिषेक कुमार बाजपेई द्वारा पद्मश्री श्री धनपाल सैनी जी को एक प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया. अंत में विश्वविद्यालय परिसर में पीपल का पौधारोपण किया गया. कार्यक्रम का संचालन डॉ. रानी मैथ्यू एवं डॉ. सोहन कुमार मिश्रा द्वारा किया गया. धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव डॉ. अभिषेक कुमार बाजपेई द्वारा किया गया..