
डाटा एंट्री ऑपरेटर सुमन भगत के विरुद्ध राष्ट्रीय ओबीसी महासभा के जिला अध्यक्ष जीतेंद्र कुमार साहू ने सचिव परिवहन विभाग मंत्रालय को लिखित शिकायत दी थी जिस पर अवर सचिव ने 16/02/2023 को सचिव छत्तीसगढ़ शासन परिवहन विभाग को इस शिकायत पत्र पर उचित जांच करने के लिए पत्र व्यवहार किया था । पर 2 माह बीत जाने के बाद भी परिवहन आयुक्त कार्यालय से किसी भी प्रकार की जांच या जांच उपरांत किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा गया जिस पर अवर सचिव छत्तीसगढ़ शासन परिवहन विभाग ने 26/04/2023 को परिवहन आयुक्त को शिकायत के विरुद्ध वांछित जांच प्रतिवेदन तत्काल/आज ही विभाग को उपलब्ध कराने का कष्ट करें यह आदेश परिवहन आयुक्त दीपांशु काबरा को दिया है, क्या कारण है कि भ्रष्टाचार जैसे गंभीर आरोपों में भी परिवहन विभाग के आला अधिकारी जांच में इतनी लेट लतीफी कर रहे हैं।
श्री साहू ने वायरल वीडियो का हवाला देते हुए डाटा एंट्री ऑपरेटर सुमन भगत के ऊपर लर्निंग लाइसेंस को पास करने के एवज में रुपए लेते हुए दिखाई दे रही है जिससे बड़ी ही गंभीरता से लेते हुए इसकी शिकायत की थी और एक कंप्यूटर ऑपरेटर को लर्निंग लाइसेंस जैसे महत्वपूर्ण विभाग को दिए जाने पर प्रश्न उठाया था, जिसकी शिकायत परिवहन सचिव ,कोरबा जिला कलेक्टर, जिला परिवहन अधिकारी, परिवहन आयुक्त एवं पुलिस अधीक्षक कोरबा से की थी पर आज दिनांक तक किसी भी प्रकार की जांच या कार्यवाही सुमन भगत के ऊपर नहीं हुई है । क्या कारण है कि फर्जी नामांतरण , भ्रष्टाचार, घूस लेते हुए वीडियो वायरल होना इन सब गंभीर शिकायतों के बावजूद भी कोरबा जिला परिवहन अधिकारी किसी भी जांच को अंजाम तक पहुंचा नहीं पा रहे हैं । साथ ही साथ परिवहन आयुक्त द्वारा भी किसी भी मामले को संज्ञान में लेकर कार्यवाही नहीं की जा रही है क्या पूरे सिस्टम में भ्रष्टाचार का दीमक चढ़ चुका है।
कोरबा औद्योगिक क्षेत्र है जहां कमर्शियल गाड़ियां बहुत ज्यादा मात्रा में पाई जाती हैं इसलिए कोरबा आरटीओ विभाग हमेशा से चर्चा पर रहा है कुछ ही दिन पूर्व जिला मालवाहक ऑटो संघ ने अपने लेटर पैड में लिखित रूप से राजस्व मंत्री श्री जयसिंह अग्रवाल को शिकायत की थी जिसमे कोरबा जिला परिवहन अधिकारी द्वारा फिटनेस पास करने के एवज में ₹3000 की मांग की जा रही है ऐसा आरोप लगाया था, जिस पर आज दिनांक तक किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं हुई है ।
अपर सचिव द्वारा परिवहन आयुक्त दीपांशु काबरा को यह पत्र जारी करना पड़ा क्योंकि शिकायत पर किसी भी प्रकार की जांच नहीं हुई थी जिस पर उन्हें तत्काल/आज ही जैसे शब्दों का प्रयोग कर जांच प्रतिवेदन की कॉपी मांगी गई है।
फर्जी नामांतरण जिसमें स्विफ्ट डिजायर या फिर अजय साहू का मामला हो इन सभी में आरटीओ एजेंट पन्ना साहू, संतोष राठौर या फिर कोरबा Dto श्री पाटले एवं शशिकांत कुर्रे इन सब की भूमिका संदिग्ध रही है । अपने पद का दुरुपयोग कर इन्होंने जिला कार्यालय को भ्रष्टाचार का गढ़ बना दिया है इतने गंभीर शिकायत मिलने के बाद भी परिवहन आयुक्त द्वारा किसी भी प्रकार की जांच या कार्यवाही ना करना कई सारे प्रश्नों को जन्म देता है।
छत्तीसगढ़ राज्यपाल द्वारा फर्जी नामांतरण मामले को संज्ञान में लेते हुए विभाग को पत्र जारी कर उचित जांच के आदेश किया है जिस पर आज दिनांक तक किसी भी प्रकार की कार्यवाही की सूचना प्राप्त नहीं हुई है । क्या कारण है कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को विभाग स्वयं संरक्षण दे रहा है।