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Chhattisgarh

“बांग्लादेशी घुसपैठ, धर्मांतरण और लव जिहाद – यह केवल हिंदुत्व ही नहीं, बल्कि हिंदुस्तान की अखंडता पर सबसे बड़ा खतरा” – दीपिका शोरी

छत्तीसगढ़ में धर्म स्वातंत्र्य संशोधन विधेयक बनाने जा रहा है जो छत्तीसगढ़ सरकार का स्वागत करने योग्य कदम है

 

सुकमा -छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की सदस्य और जानी-मानी अधिवक्ता दीपिका शोरी ने आज सुकमा जिले में मीडिया से चर्चा के दौरान देश और राज्य में बढ़ते बांग्लादेशी घुसपैठ, सुनियोजित धर्मांतरण एवं लव जिहाद के मामलों को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “यह खतरा सिर्फ हिंदू समाज के लिए नहीं, बल्कि पूरे भारतीय समाज, संस्कृति और सुरक्षा के लिए एक आंतरिक ज्वालामुखी बनता जा रहा है।”

“छत्तीसगढ़ भी अछूता नहीं, बने सख्त कानून”

दीपिका शोरी ने कहा कि उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में लव जिहाद और धर्मांतरण के विरुद्ध कड़े कानून बनाए जा चुके हैं। छत्तीसगढ़ जैसे आदिवासी बहुल राज्य में भी ऐसे ही सख्त कानून की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने सुकमा जिले का हवाला देते हुए बताया कि यहाँ भी धर्मांतरण के मामले लगातार सामने आ रहे हैं, जहाँ कुछ लोग अपने ही समाज के विरुद्ध दुर्भावना पालकर आदिवासी रीति-रिवाजों को नकारते हुए केवल लाभ उठाने का कार्य कर रहे हैं।इसकी शिकायतें लगातार मिलने के बाद राज्य सरकार बढ़ते धर्मांतरण को रोकने के लिए धर्म स्वातंत्र्य संशोधन विधेयक बनाने जा रही है। करीब 10 राज्यों की कानूनों की बारीकियों को ध्यान में रखकर ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है। इससे प्रदेश में धर्मांतरण के मामले थमने के साथ ही इसमें संलिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने में मदद मिलेगी।

 

“डी-लिस्टिंग की आवश्यकता, आदिवासी समाज की सुरक्षा सर्वोपरि”

दीपिका ने धर्मांतरित व्यक्तियों को अनुसूचित जनजाति की सूची से डी-लिस्ट करने की मांग की और कहा,

> “जो लोग आदिवासी धर्म, संस्कृति, पेन पूजा, परंपराएं नहीं मानते, उन्हें केवल लाभार्थी बनकर आदिवासी श्रेणी में रहना अनुचित और अन्यायपूर्ण है। ऐसे लोगों को कानूनी रूप से बाहर कर, वास्तविक जनजातीय समाज की पहचान और अधिकारों की रक्षा करनी होगी।”

 

“शासन स्तर पर बने धर्मांतरितों की सूची”

उन्होंने आग्रह किया कि शासन को हर ग्राम पंचायत स्तर पर धर्मांतरित परिवारों की स्पष्ट सूची तैयार करनी चाहिए, और उन्हें समाज में वापसी का अवसर दिया जाना चाहिए। यदि वे फिर भी लौटने को तैयार नहीं होते, तो उन्हें सभी आदिवासी विशेषाधिकारों से वंचित किया जाए।

“बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की पहचान आवश्यक”

दीपिका शोरी ने विशेष रूप से जिले में कथित रूप से बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्या के नाम बदलकर गांवों में छिपे रहने की आशंका को लेकर चेताया। उन्होंने कहा कि

> “कुछ लोग मोटरसाइकिल से गाँव-गाँव घूमकर व्यापारी या मजदूर के रूप में घुसपैठ कर रहे हैं। यदि इन्हें समय रहते नहीं रोका गया, तो ये लोग स्थायी निवास प्रमाण पत्र बनवाकर यहां की भोलाभाली बहन-बेटियों को प्रेमजाल में फंसा कर स्थायी नागरिकता और राजनीतिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।”

 

उन्होंने प्रशासन और आम नागरिकों से अपील की कि ऐसे लोगों की पहचान कर, उन्हें चिन्हित कर, जिला और राज्य से बाहर निकाला जाए, ताकि आने वाले समय में राज्य की सांस्कृतिक और सामाजिक संरचना को खतरे में न डाला जा सके।

दीपिका शोरी – निष्कपट जननायिका, निडर महिला आवाज़

जन सरोकारों से जुड़ी हर लड़ाई को स्वाभिमान और साहस के साथ लड़ने वाली दीपिका शोरी आज छत्तीसगढ़ की उन विरली महिला नेताओं में से एक हैं, जो केवल बयान नहीं देतीं – बल्कि जमीनी स्तर पर सामाजिक चेतना और सुरक्षा के लिए प्रयासरत रहती हैं।