Chhattisgarh

डीएमएफ घोटालाः कमीशन के लिए एक जिले का पैसा दूसरे जिलों में लगा रहे

डीएमएफ घोटालाः कमीशन के लिए एक जिले का पैसा दूसरे जिलों में लगा रहे

निलंबित आईएएस और असिस्टेंट कमिश्नर ने पूछताछ में किया खुलासा

राज्य में 1000 करोड़ से ज्यादा के डीएमएफ घोटाले घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रविवार को निलंबित आईएएस रानू साहू और आदिम जाति कल्याण विभाग की असिस्टेंट कमिश्नर माया वारियर को आमने-सामने बिठाकर पूछताछ की है। दोनों ने डीएमएफ फंड के पैसों को खर्च करने और उसके एवज में लिए जाने वाले कमीशन के सिस्टम के बारे में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।

पता चला है कि एक जिले के पैसों को नियम विरुद्ध दूसरे जिलों में खर्च किया गया। फंड का बड़ा हिस्सा तालाबों के सौंदर्याकरण और चौपाटी में बनाने में खर्च हुआ है। हालांकि पूछताछ के दौरान रानू के आंखों में आंसू थे। ईडी की कार्रवाई के बाद से वे लगातार बोल रही है कि उन्हें ही टारगेट किया जा रहा है। एक के बाद एक नया मुकदमा उन पर दायर किया जा रहा हा है। है। ईडी ईडी ने दो दिन पहले ही निलंबित आईएएस रानू को जेल से पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया है। इस बीच आदिमजाति कल्याण विभाग की असिस्टेंट कमिश्नर माया को भी गिरफ्तार किया गया। दोनों से अब तक अलग-अलग पूछताछ की जा रही थी।

अब उन्हें आमने सामने बिठाकर घोटाले के संबंध में जानकारी ली जा रही है। उनसे पूछताछ के बाद ही ईडी की ओर से कहा जा रहा है कि डीएमएफ फंड का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हुआ है। यह घोटाला 3000 करोड़ से ज्यादा का हो सकता है। ज्यादा से ज्यादा पैसे खर्चकर ज्यादा कमीशन पाने के चक्कर में एक जिले के पैसों को दूसरे जिलों में खर्च किया गया। जबकि ये पूरी तरह से प्रतिबंधित है। ऐसा करना गलत है। इसके बावजूद ऐसा किया गया और ज्यादा पैसे तालाबों के सौंदर्याकरण व चौपाटी बनाने में किए गए हैं। घोटाला कोरबा के अलावा सूरजपुर, बलरामपुर, जशपुर, बालोद, कोरबा, दंतेवाड़ा, बलौदाबाजार और बीजापुर में भी घोटाला हुआ है।

एसीबी में भी जांच हुई तेज ईओडब्ल्यू-एसीबी ने डीएमएफ घोटाले में पिछले साल ईसीआईआर दर्ज की है। पिछले डेढ़ साल से इडी इस मामले में जांच कर रही थी। इसमें राज्य के अधिकारी-कर्मचारी व राजनेताओं की संलिप्तता पाई गई। ईडी के प्रतिवेदन पर 16 जनवरी को ईओडब्ल्यू ने निलंबित आईएएस रानू साहू, कारोबारी संजय शेंडे, अशोक अग्रवाल, मुकेश अग्रवाल, ऋषभ सोनी समेत सोनी, एनजीओ संचालक मनोज अब्दुल, शेखर, रानू के भाई पीयूष साहू अन्य पर जालसाजी व षड्यंत्र का केस दर्ज किया है।

 ईडी का आरोप है कि डीएमएफ के तहत काम देने के लिए टेंडर की कुल राशि का 40 प्रतिशत कमीशन अधिकारी-कर्मचारी लेते थे। 

प्राइवेट कंपनियों के टेंडर पर20 प्रतिशत तक कमीशन लिया जाता था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *