जिले में संविदा स्वास्थ्य कर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर, स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ेगा असर
जिले के लगभग 300 से अधिक संविदा स्वास्थ्यकर्मी, प्रदेश स्तरीय आह्वान पर

जिला रिपोर्टर शक्ति उदय मधुकर
सक्ती जिले में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मचारी अपने संविलयन/ स्थायीकरण, पब्लिक हेल्थ केडर की स्थापना, ग्रेड पे निर्धारण, कार्य मूल्यांकन प्रणाली में पारदर्शिता, 27% वेतन वृद्धि, नियमित भर्ती में एनएचएम कर्मचारियों के लिए आरक्षण, अनुकंपा नियुक्ति, मेडिकल व अन्य अवकाश की सुविधा, स्थानांतरण नीति व 10 लाख की कैशलेश बीमा जैसे अपने दस सूत्रीय मांगों को लेकर 18 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। हड़ताल के पहले दिन हड़ताल पर बैठे एनएचएम के कर्मचारियों ने कोरोना महामारी के समय में अपने दायित्व निर्वहन करते हुए छत्तीसगढ़ प्रदेश एनएचएम कर्मचारी संघ के जान गंवाने वाले 21 दिवंगत कर्मचारियों को मानव श्रृंखला बनाकर श्रद्धांजलि दी गई। इधर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मचारियों की मानें तो वे सरकार की बेरुखी व उपेक्षा के चलते आक्रोशित होकर इस अनिश्चितकालीन हड़ताल पर आने विवश हुए हैं। कर्मचारियों के अनुसार उनके द्वारा पूर्व में अपने सभी 10 सूत्रीय मांगों के संबंध में 15 अगस्त तक सरकार की ओर से ठोस कार्रवाई का निवेदन किया गया था। जिस पर सरकार की ओर से किसी भी प्रकार की कार्रवाई न होने से निराश ये कर्मचारी अब अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। इस हड़ताल में सक्ती जिले के सैकड़ों कर्मचारी शामिल हुए हैं वहीं बात पूरे प्रदेश की करें तो 16000 से अधिक कर्मचारी एक साथ काम बंद,कलम बंद हड़ताल पर चले गए हैं। जिसके चलते स्वास्थ्य सेवाओं पर बहुत बुरा असर पड़ने की संभावना है। इस बार संघ ने विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई (SNCU) सहित सभी आपातकालीन सेवाओं को भी बंद रखने का कठोर निर्णय लिया है। इस संबंध में छ.ग. प्रदेश एनएचएम कर्मचारी संघ जिला सक्ती के पदाधिकारियों ने आगे बताया कि एनएचएम के कर्मचारी पिछले 20 वर्षों से प्रदेश के सुदूर अंचलों से लेकर प्रमुख शासकीय संस्थानों तक अपनी सेवाएं देते आ रहे हैं। यहां तक की वैश्विक महामारी कोविद-19 के दौर में भी इन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए अपनी सेवाएं दी थी। बावजूद हमें सरकार द्वारा मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा गया है। जबकि अन्य राज्यों में इन्हीं मिशन की कर्मचारियों को बेहतर सुविधाएं मिल रही है।
संघ के जिला पदाधिकारियो ने बताया कि मौजूदा सरकार ने
अपने चुनावी घोषणा पत्र 2023 में “मोदी की गारंटी” में भी नियमितीकरण का वादा किया था जो कि अब तक खोखली ही साबित हुई है। इधर वर्तमान छत्तीसगढ़ सरकार के अभी तक 20 महीने के कार्यकाल में 160 से अधिक बार ज्ञापन व आवेदन देने के बाद भी कोई ठोस समाधान सामने नहीं आ सका है। यही वजह है कि निराश- हताश कर ये कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर उतर आए हैं। और चरणबद्ध तरीके से अपनी मांगे पूरी होने तक आंदोलन के लिए प्रतिबद्ध नजर आ रहे हैं। ऐसे में अब यह देखना होगा कि एनएचएम कर्मचारियों के मांगों पर सरकार क्या फैसला लेती है ?