
कोरबा नगर निगम की कार्यवाही पर उठ रहा सवाल, दूसरे की संपत्ति पर सील लगाकर गायब हुए अधिकारी

कोरबा नगर निगम की कार्यवाही पर उठ रहा सवाल, दूसरे की संपत्ति पर सील लगाकर गायब हुए अधिकारी, महिला स्वामिनी ने लगाई गुहार…
नगर पालिक निगम कोरबा के द्वारा शिव अग्रवाल की बकाया सम्पतिकर के ऐवज में श्रीमति कौशल्या देवी अभिनंदन काम्प्लेक्स में स्थित भवन शील कर दिया गया है। श्रीमती कौशल्या देवी वैष्णव अभिनंदन काम्प्लेक्स कोरबा वार्ड क्रमांक 11 में बैंक आफ बडौदा के द्वारा कलेक्टर कोरबा से अनुमति प्राप्त कर दैनिक भास्कर रायपुर बिलासपुर सहित समस्त प्रदेश में दिनांक 14/04/2024 को प्रकाशित समाचार पत्र में ईश्ताहर भी प्रकासन करवाकर सम्पत्ति को बिक्री हेतु आक्सन किया गया था जिसे उनके द्वारा खसरा नं 579/3 में निर्मित 8 से 19 प्रथम व द्वितीय तल के दुकान को क्रय किया गया है और उसका रजिस्ट्री भी 11 sep 2024 को विधि सम्मत उन्होंने कराया है। उन्हें कब्ज़ा भी बैंक आफ बडौदा के अधिकारियो के द्वारा दिया गया, उनका कहना है की वे शिव कुमार अग्रवाल के नाम के किसी व्यक्ति को नहीं जानती है, लेकिन नगर निगम कोरबा के अधिकारी शिवकुमार अग्रवाल के बकाया राशी का नोटिस शिव कुमार अग्रवाल के नाम से जारी कर रहे है और उन्हें उसका संपत्तिकर बकाया राशी को मांग रहे है। इस तरह नोटिस किसी के नाम से और भुगतान किसी और से जमा कराना कहा का न्याय है। अर्थात नोटिस शिव कुमार के नाम पर और भुगतान कौशल्या देवी को देने की मांग करना न्याय हित में नहीं है। जोन कार्यालय के अधिकारी आयुक्त को निश्चित रूप से को अंधेरे में रखा गया है। उन्होंने आयुक्त से दिनांक 11/04/2024 को निवेदन पत्र देकर अनुरोध किया है की या तो मेरा सम्पतिकर बकाया है तो नोटिस मेरे नाम पर दिया जाये तब वे राशी देने के लिए बाध्य होंगे अन्यथा यदि शिव कुमार अग्रवाल के नाम का नोटिस है तो उनसे या संबंधित बैंक से राशी वसूली किया जाये। मेरा भवन को शील किया जाना विधि विरुद्ध है। उन्होजे आयुक्त नगर पालिक निगम कोरबा से अनुरोध किया है की उनके संपत्ति को कब्जामुक्त करते हुए मेरे संपत्ति भवन के लगाये गए शील को खोलवाने का मांग की है, यदि प्रशासन न्याय हित में सही कार्यवाही कर उनका भवन कब्ज़ा मुक्त नहीं करते है तो उनका प्रतिष्ठा धूमिल करने और उन्हें व्यापार में नुकसान पहुचाये जाने के कारण अधिकारियो के विरुद्ध कार्यवाही हेतु माननीय उच्च न्यायलय का शरण लेने की बात कहते हुए अधिकारियों द्वारा बेवजह परेशान करने की बात कही गई है।