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कुसमुंडा जीएम कार्यालय में भूविस्थापितों का प्रदर्शन, बिलासपुर मुख्यालय में चर्चा के आश्वासन पर समाप्त हुआ आंदोलन

सतपाल सिंह

कुसमुंडा जीएम कार्यालय में भूविस्थापितों का प्रदर्शन, बिलासपुर मुख्यालय में चर्चा के आश्वासन पर समाप्त हुआ आंदोलन

रोजगार प्रकरणों के निराकरण,बसावट,जमीन वापसी की मांगों को लेकर 2 घंटे कार्यालय घेराव के बाद 4 घंटे तक कार्यालय के अंदर बैठे भू विस्थापित

अर्जन के बाद जन्म के नाम पर रोजगार से वंचित नहीं किया जा सकता : प्रशांत

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बिलासपुर मुख्यालय में चर्चा के साथ 10 दिनों में लंबित रोजगार प्रकरणों के निराकरण के लिखित आश्वासन के बाद आंदोलन समाप्त हुआ

छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू विस्थापित रोजगार एकता संघ द्वारा एसईसीएल के खदानों से प्रभावित भू विस्थापित किसानों की लंबित रोजगार प्रकरणों का तत्काल निराकरण,बसावट, एवं प्रभावित गांव में मूलभुत सुविधा उपलब्ध कराने के साथ 10 सूत्रीय मांग को लेकर कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय का घेराव की घोषणा अनुसार सुबह 10 बजे से कुसमुंडा कार्यालय का घेराव कर दिया जिससे मुख्य गेट से कोई कर्मचारी प्रवेश नहीं कर पाए। इसके बाद नारेबाजी करते हुए रैली निकालकर कार्यालय के अंदर घुसे भूविस्थापित जिससे माहोल तनावपूर्ण हो गया बड़ी संख्या में पुलिस बल उपस्थित था उसके बाद एसईसीएल प्रबंधन ने वार्ता के लिए बुलाया वार्ता में समस्याओं का समाधान नहीं होने पर 4 घंटे तक कान्फ्रेस हाल में ही आंदोलनकारी बैठ गए जिसके बाद कुसमुंडा महाप्रबंधक ने 3 रोजगार के फाइल को बिलासपुर भेजने की सहमति दी साथ ही बिलासपुर में बैठक और रुके फाइल पर उचित कार्यवाही के लिए बिलासपुर मुख्यालय के साथ संयुक्त बैठक कर निराकरण करने का लिखित आश्वासन दिया उसके बाद आंदोलन समाप्त हुआ ।

 

किसान सभा के नेता प्रशांत झा ने कहा की अर्जन के बाद जन्म के नाम पर भू विस्थापितों को रोजगार से वंचित नहीं किया जा सकता जिनकी भी जमीन अर्जन की गई है उन्हे रोजगार देना होगा। भू विस्थापित रोजगार के लंबित प्रकरणों का निराकरण की मांग करते हुए थक गए हैं।भू विस्थापितों की समस्याओं के निराकरण के लिए एसईसीएल के अधिकारियों द्वारा कोई ठोस पहल नहीं किया जा रहा है जिससे भू विस्थापितों में काफी आक्रोश है । एसईसीएल के अधिकारियों का ध्यान केवल भू विस्थापितों के अधिकारों को छीन कर आपस में लडवाकर केवल कोयला उत्पादन को बढ़ाने और उच्च अधिकारियों को खुश करने की है जिसमें जिला प्रशासन भी एसईसीएल के साथ खड़ी है लेकिन भू विस्थापित किसानों की एकजुटता के सामने कोई प्रबंधन टिकने वाली नहीं है आगे आंदोलन और तेज होगा।

 

किसान सभा के नेता जय कौशिक,सुमेंद्र सिंह कंवर ने कहा कि विकास के नाम पर अपनी गांव और जमीन से बेदखल कर दीये गए विस्थापित परिवारों का जीवन स्तर सुधरने के बजाय और भी बदतर हो गई है। 40-50 वर्ष पहले कोयला उत्खनन करने के लिए किसानों की हजारों एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था।कोयला खदानों के अस्तित्व में आ जाने के बाद विस्थापित किसानों और उनके परिवारों की सुध लेने की किसी सरकार और खुद एसईसीएल के पास समय ही नहीं है। विकास की जो नींव रखी गई है उसमें प्रभावित परिवारों की अनदेखी की गई है। खानापूर्ति के नाम पर कुछ लोगों को रोजगार और बसावट दिया गया जमीन किसानों का स्थाई रोजगार का जरिया होता है। सरकार ने जमीन लेकर किसानों की जिंदगी के एक हिस्सा को छीन लिया है। इसलिए जमीन के बदले सभी खातेदारों को स्थाई रोजगार देना होगा। भू विस्थापित किसानों के पास अब संघर्ष के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है।

 

उल्लेखनीय है कि 31अक्टूबर 2021 को लंबित प्रकरणों पर रोजगार देने की मांग को लेकर कुसमुंडा क्षेत्र में 12 घंटे खदान बंद करने के बाद एसईसीएल के महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष दस से ज्यादा गांवों के किसान 1307 दिनों से अनिश्चित कालीन धरना पर बैठे हैं। इस आंदोलन के समर्थन में छत्तीसगढ़ किसान सभा शुरू से ही उनके साथ खड़ी है।

 

भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के नेता दामोदर श्याम, रेशम यादव,रघु यादव ने कहा कि भू विस्थापितों को बिना किसी शर्त के जमीन के बदले रोजगार देना होगा और वे अपने इस अधिकार के लिए अंतिम सांस तक लड़ेंगे और भू विस्थापित संघ से जुड़े भू विस्थापितों ने कहा कि सरकार को विस्थापितों को ऐसा जीवन प्रदान करना चाहिए जिससे उनको लगे की उन्होंने अपनी जमीन नहीं खोया है लेकिन सरकार गरीबों को जमीन पर लाकर खड़ा कर देती है। गरीबों के पास संघर्ष के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।

 

लगभग 6 घंटे तक घेराव प्रदर्शन के दौरान कार्यालय में माहोल तनावपूर्ण रहा। भू विस्थापितों द्वारा बिना कोई ठोस निर्णय के आंदोलन समापत करने से मना करने के बाद अधिकारियों में हड़कंप मच गया बिलासपुर मुख्यालय से वार्ता कर अधिकारियों ने सीएमडी कार्यालय में 10 दिनों में बैठक कर तत्काल रोजगार प्रकरणों के निराकरण का आश्वासन दिया जिसके बाद हड़ताल समाप्त हुआ किसान सभा ने एलान करते हुए कहा है कि भू विस्थापितों के समस्याओं पर सकारात्मक पहलकदमी नहीं होने पर कोल परिवहन को 15 दिनों में बार बार बंद किया जाएगा।

घेराव में प्रमुख रूप से सूरज बाई, सुनीला,राजेश्वरी कौशिक,बंधन बाई,तेरस,दीना नाथ,हरिहर,चंद्रशेखर,होरी,रघुनंदन,मुनीराम, डुमन,राजकुमार,गणेश,विजय कंवर,नरेंद्र,हेमलाल,नारायण, जितेन्द्र,उत्तम,फीरत,नंदकुमार,रविकांत, के लाल,विजय कंवर,अजय,हेमंत बंजारे,के साथ बड़ी संख्या में भू विस्थापित शामिल थे ।