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ChhattisgarhKorbaकोरबा न्यूजछत्तीसगढ

आई.पी.एस. दीपका में मनाया गया अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस

नृत्य शारीरिक मानसिक थकान को मिटा कर मस्तिष्क को ताजगी से भर देता है - डॉक्टर संजय गुप्ता

सन् 1982 में युनेस्को के अंतर्राष्ट्रीय थिएटर इंस्ट्टियूट की अंतर्राष्ट्रीय डांस कमेटी ने 29 अप्रैल को नृत्य दिवस के रूप में स्थापित किया । एक महान रिफॉर्मर जीत जार्ज नावेरे के जन्म की याद में यह दिन अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस के रूप् में मनाया जाता है जिसका उद्देश्य पूरे विश्व में जनसाधारण के बीच नृत्य की महत्ता का अलख जगाना साथ ही लोगों का ध्यान विश्व स्तर पर नृत्य विधा की ओर आकर्षित करना था जिससे लोगों में नृत्य के प्रति जागरूकता फैले एवं पूरे विश्व में नृत्य को शिक्षा की सभी प्रतियोगिताओं में उचित जगह मिले । कहा जाता है आज से 2000 वर्ष पूर्व त्रेतायुग में देवताओं की विनती पर ब्रम्हाजी के नृत्य वेद तैयार किया, तभी से संसार में नृत्य की उत्पत्ति मानी जाती है । जब नृत्य वेद की रचना पूरी हो गई, तब नृत्य करने का अभ्यास सर्वप्रथम भरत मुनि के पुत्रों ने किया था ।

आज के युवाओं का कहना है कि नृत्य कला क्षेत्र में एक विशिष्ट विधा है, जिसे जितना आनंद नृत्य देखने में आता है उतना ही नृत्य करने में । नृत्य करने से दिल को सुकुन मिलता है, शारीरिक व मानसिक रूप से बहुत जरूरी है तथा स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है ।

दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल जो कि दीपका क्षेत्र में कला का केन्द्र माना जाता है, अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस को विशेष रूप से मनाया गया । इस अवसर पर विद्यालय की नृत्य शिक्षिका श्रीमती रूमकी हलदर एवं श्री हरि सर के साथ महेश व टीम के द्वारा बच्चों को नृत्य की विविध विधाओं का ज्ञान दिया गया । विद्यालय नृत्य शिक्षक ने विद्यार्थियों को नृत्य की विभिन्न शैलियों से अवगत कराया। विद्यार्थियों को भरतनाट्यम ,कथक, वेस्टर्न डांस इत्यादि का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। गौरतलब है कि इंडस पब्लिक स्कूल के विद्यार्थी कत्थक, भरतनाट्यम,कुचीपुड़ी जैसे नृत्य में भी पारंगत है। यह उनके सतत् साधना का ही प्रतिफल है। इंटरनेशनल डांस डे के अवसर पर विद्यार्थियों को विभिन्न नृत्य शैली में पारंगत बनाने का प्रयास किया गया। बच्चों ने भी तन और मन से नृत्य कर इस दिन का खूब आनंद उठाया। अभी विद्यालय में संचालित समर कैंप में बच्चों को विभिन्न प्रकार की नृत्य शैलियों से भी पारंगत कराया जा रहा है।

इस अवसर पर विद्यालय प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने कहा कि नृत्य भावना की आराधना है* । हमारे मन में बसी भावना को व्यक्त करने का नृत्य एक शसक्त माध्यम है । साथ ही यह स्वास्थ्य के मिलए भी लाभदायक है, यह हमारी मानसिक एवं शारीरिक थकान को मिटाकर मस्तिष्क को ताजगी से भर देता है । नृत्य हमारी प्रसन्नता का प्रमाण हैं। नृत्य करने से हम तन और मन दोनों ही स्तर पर ताजगी महसूस करते हैं। यह हमारे मन में छिपी सूक्ष्म भावनाओं की अभिव्यक्ति का सरल माध्यम है। आज की तनाव भरी जिंदगी में इंसान कभी नाच कर,कभी गाकर खुशियों के पल को पल भर में जी लेना चाहते हैं। आज नृत्य के विभिन्न शैलियों में पारंगत बच्चे विश्व स्तर पर नाम रोशन कर रहे हैं ।इसमें भी अपार संभावना है।