स्थानीय बेरोजगारों की उपेक्षा कर खदान नही चला सकती एसईसीएल, निजी कंपनियों में देना होगा रोजगार नही तो करेंगे आंदोलन – पार्षद अजय प्रसाद
सतपाल सिंह
स्थानीय बेरोजगारों की उपेक्षा कर खदान नही चला सकती एसईसीएल, निजी कंपनियों में देना होगा रोजगार नही तो करेंगे आंदोलन – पार्षद अजय प्रसाद
कोरबा – जिले की कोयला खदानें देश ही नहीं वरन् विश्व में भी अपनी उत्पादन क्षमता की वजह से शीर्ष स्थान पर पहुंच चुकी हैं। जिसके तहत एसईसीएल की गेवरा और कुसमुंडा खदानों को, वर्ल्ड एटलस डॉटकॉम द्वारा जारी दुनिया की टॉप 10 कोयला खदानों की सूची में क्रमश: दूसरा और चौथा स्थान मिला है। कोरबा जिले में स्थित एसईसीएल के इन दो मेगा प्रोजेक्ट्स द्वारा वर्ष 23-24 में 100 मिलियन टन से अधिक का कोयला उत्पादन किया गया जो भारत के कुल कोयला उत्पादन का लगभग 10% है। निश्चित रूप से यह गौरव की बात है। ऐसे जिन स्थानों में ये खदानें संचालित है वहां आसपास के क्षेत्रों में बेरोजगारी के घने बादल डेरा जमाए रहें ये किसी आपदा से कम नहीं। वर्तमान में कोयला खदानों में कोयला उत्पादन और प्रेषण ( प्रोडक्शन और डिस्पेच) लगभग निजी कंपनियों के कंधों पर है,जहां एसईसीएल के मुकाबले अधिक कामगारों की आवश्यकता है,बात करें पेमेंट की तो वह भी एसईसीएल कर्मचारियों के पेमेंट के मुकाबले आधी ही है,बावजूद इसके एक गरीब व सामान्य परिवार के लिए यह पर्याप्त है। ऐसे में खदान से प्रभावित परिवारों के बेरोजगार इन मेगा परियोजनाओं से रोजगार की बड़ी आस है, महीनों – महीनों तक चप्पल जूते घिसने के बाद भी स्थानीय बेरोजगार केवल ऑफिस के चक्कर लगाने मजबूर हैं। ऐसे में कुसमुंडा और गेवरा दोनों ही खदानों के मुहाने पर बसे गेवरा बस्ती वार्ड के पार्षद और जनप्रतिनिधि अजय प्रसाद ने मुहिम छेड़ते हुए दोनों ही क्षेत्र के एसईसीएल खदानों में बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने की बात कही हैं। उन्होंने बताया की दोनों ही खदान गेवरा बस्ती,धर्मपुर क्षेत्रों के बेहद करीब हैं ऐसे में इन खदानों की धूल डस्ट, ब्लास्टिंग इत्यादि से यहां के लोगों का जीवन मुश्किल हो गया हैं।जिनकी जमीन जा रही है उन्हे भी स्थाई नौकरी देने में देरी समझ से परे है। वहीं खदान प्रभावित स्थानीय युवाओं को रोजगार प्रदान करने की बात भी खोखली नजर आ रही है, प्रबंधन द्वारा लगातार मीटिंग में आश्वाशन ही दिया जा रहा है जिससे लोगों में काफी आक्रोश है। अब आगे चरणबद्ध तरीकों से आंदोलन किया जाएगा। जब तक स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार नही मिलेगा, एसईसीएल की खदानों को चलने नही देंगे।