रेलमार्ग निर्माण पर रेलमंत्री अश्वनी वैष्णव ने दी सहमति.. डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट जुलाई तक करने का दिया आश्वासन .

जगदलपुर inn24..बहुप्रतिक्षित महत्वकांक्षी रावघाट रेल मार्ग पर केंद्रीय रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने बस्तर के भाजपा के दो प्रमुख कद्दावर नेताओं को दिल्ली बुलाकर कर रावघाट परियोजना पर डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट जुलाई 2023 तक पूरी करने का आश्वासन दिया और निर्माण कार्य दोनों ओर से शुरू जाने की सहमति दी..
विदित हो जगदलपुर से दल्ली राजहरा रेल मार्ग 235 किलोमीटर निर्माण किया जाना सुनिश्चित है!
जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने 2023 तक पूर्ण करने का वादा किया था ,तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में इस प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई थी। 7 वर्ष पश्चात भी दूसरे चरण का रावघाट से जगदलपुर रेल मार्ग निर्माण पर किसी प्रकार प्रगति ना होते देख बस्तर के लोग आंदोलित हैं।
कई चरणों में हुए आंदोलन करने के पश्चात अब आर-पार के मुड पर बस्तर वासी.! इससे पूर्व भी बस्तर के लोगों ने रेल के मुद्दे पर कई प्रकार के आंदोलन किया हैं।
इस दफे रेल मार्ग आंदोलनकारियों ने 9 मई को बस्तर बंद का आह्वान किया है
जिसे लोगों का व्यापक समर्थन मिल रहा है…
यही कारण है कि भाजपा आगामी चुनाव को देखते हुए इस मुद्दे पर स्पष्ट रूप अख्तियार कर इसे मूर्त रूप देने का प्रयास कर रही है ।ताकि आगामी चुनाव में इसका असर ना पड़े
..
वहीं कांग्रेस इसे केंद्र सरकार के विकास विरोधी बस्तर के साथ सौतेला व्यवहार बताकर केंद्र सरकार द्वारा बेवजह लटकाने का आरोप लगाया है..
और कहा कि बस्तर में भाजपा का कोई वजूद नहीं है बस्तर से किए गए विश्वासघात का असर आगामी चुनाव में भाजपा को निश्चित ही मुंह की खानी पड़ेगी…
ज्ञात हो कि इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 2015 में की गई थी
235 किलोमीटर लंबे इस रेल मार्ग का निर्माण दल्ली राजहरा से जगदलपुर किया जाना प्रस्तावित है
प्रथम चरण में 95 किलोमीटर का निर्माण कार्य प्रगति पर है
दूसरे चरण में रावघाट से जगदलपुर 140 किलोमीटर का कार्य में प्रकार की प्रगति ना होना विवाद का कारण बना है ..
9 मई 2015 का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दंतेवाड़ा प्रवास पर थे तो उन्होंने रावघाट से जगदलपुर 140 किलोमीटर के दूसरे चरण के रेल मार्ग के लिए अलग एमओयू कराया था ।
प्रधानमंत्री की मौजूदगी में एनएमडीसी सेल इरकान व राज्य खनिज विकास निगम ने मिलकर 2600 करोड़ की इस परियोजना के लिए एक नई कंपनी
वीआरएल का गठन किया
इसके बाद कुछ हिस्सों में भू अधिग्रहण की कार्यवाही भी की गई भूमि अधिग्रहण में 100 करोड़ से अधिक का घोटाला सामने आने के बाद परियोजना का काम फिर अटक गया।
और बस्तर के लोग ठगे के ठगे रह गए।
अभी प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.
रेल की मांग को लेकर बस्तर के नागरिकों ने गत वर्ष अप्रैल में अंतागढ़ से जगदलपुर 170 किलोमीटर की पदयात्रा भी की थी..
अब रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव के आश्वासन के बाद जुलाई 2023 तक डीपीआर के पश्चात कार्य किस गति से आगे बढ़ती है यह आने वाले दिनों में ही ज्ञात हो सकेंगी?