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पेड़ काटना हत्या से भी बड़ा अपराध – सुप्रीम कोर्ट

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पेड़ काटना हत्या से भी बड़ा अपराध – सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बड़ी संख्या में पेड़ों को काटना किसी इंसान की जान लेने से भी ज्यादा गंभीर है। अदालत ने पर्यावरण में पेड़ों की अहम भूमिका पर जोर देते हुए गैरकानूनी रूप से काटे गए हर पेड़ के लिए 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाने की सिफारिश स्वीकार ली हैं। शिव शंकर अग्रवाल नाम के एक व्यक्ति ने पिछले साल सितम्बर में संरक्षित ताज ट्रैपेजियम जोन में 454 पेड़ काट दिए थे। इस मामले पर सुनवाई के दौरान जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुयान की बेंच ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) की रिपोर्ट स्वीकार कर ली जिसमें 454 पेड़ों के लिए प्रति पेड़ 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाने की सिफारिश की गई थी। अग्रवाल ने जुर्माना कम करने की याचिका दी थी लेकिन अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया।

बेंच ने कहा कि पर्यावरण मामले में कोई दया नहीं। बड़ी संख्या में पेड़ों को काटना किसी इंसान की हत्या से भी बदतर है। 454 पेड़ों से बने हरित क्षेत्र को फिर से बनाने या पुनर्जीवित करने में कम से कम 100 साल लगेंगे। इन पेड़ों को इस अदालत की अनुमति के बिना काट दिया गया, जबकि इस अदालत द्वारा लगाया गया प्रतिबंध वर्ष 2015 से ही है।अपराधियों को स्पष्ट संदेश की बात मानी।

बेंच ने वरिष्ठ अधिवक्ता एडीएन राव के सुझाव को स्वीकार कर लिया कि अपराधियों को यह स्पष्ट संदेश दिया जाना चाहिए कि कानून और पेड़ों को हल्के में नहीं लिया जा सकता है और न ही लिया जाना चाहिए। अपने आदेश के साथ, अदालत ने इस बात का मानक तय कर दिया है कि ऐसे मामलों में कितना जुर्माना लगाया जाना चाहिए। राव कोर्ट अदालत में एमिकस क्यूरी के रूप में सहायता कर रहे हैं।

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