
गोपालनारायण को हाईकोर्ट से फिर लगा झटका ई- फार्म अस्वीकार करने के मामले में रजिस्ट्रार व यूनियन के पारित आदेश पर हाईकोर्ट ने दिया स्टे
सतपाल सिंह
गोपालनारायण को हाईकोर्ट से फिर लगा झटका..
ई- फार्म अस्वीकार करने के मामले में रजिस्ट्रार व यूनियन के पारित आदेश पर हाईकोर्ट ने दिया स्टे..
साउथ ईस्टर्न कोयला मजदूर कांग्रेस इंटक में चल रही अदालती लड़ाई में एक बार फिर गोपालनारायण सिंह को इझटका लगा है। हाईकोर्ट ने दायर एक याचिका में रजिस्ट्रार व ट्रेड यूनियन द्वारा पारित 4 दिसंबर 2024 के आदेश के प्रभाव च संचालन पर अगली सुनवाई की तारीख तक रोक लगा दी है। साउथ ईस्टर्न कोयला मजदूर कांग्रेस इंटक के पीके राय ने चर्चा के दौरान बताया कि हाईकोर्ट बिलासपुर से आदेश पर स्टे मिलने के बाद गोपालनारायण सिंह न तो बैठक ले सकेंगे और न ही संगठन में सदस्य बना सकेंगे।
उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय में संपत शुक्ला ने रजिस्ट्रार द्वारा ई फार्म को अस्वीकार कर देने के खिलाफ याचिका लगाई थी। जिस पर 20 मार्च की हाईकोर्ट में दिए गए निर्णय में कहा गया है कि याचिका कर्ता के अधिवक्ता ने दलील दी कि रजिस्ट्रार, ट्रेड यूनियन छत्तीसगढ़ को ट्रेड यूनियन अधिनियम 1926 की धारा 28 जे के प्रावधानों के अनुसार विवाद को औद्योगिक न्यायालय को संदर्भित करना चाहिए था, लेकिन संबंधित प्राधिकारी ने याचिकाकर्ता के ई फार्म को अस्वीकार कर दिया और प्रतिवादी क्रमांक गौपालनारायण के ई फार्म को स्वीकार कर लिया। जिस पर 4 दिसंबर 2024 के आदेश के प्रभाव संचालन पर रोक लगाने का आग्रह किया गया। दूसरी और राज्य वकील द्वारा इसका विरोध किया गया। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत किए गए निवेदन पर विचार करते हुए स्थगन प्रदान करने का मजबूत मामलापाया गया। कोर्ट ने रजिस्ट्रार, ट्रेड यूनियनों द्वारा पारित 4 दिसंबर 2024 के आदेश के प्रभाव संचालन पर अगली सुनवाई की तारीख तक रोक लगाने आदेशित किया है। श्री राय ने बताया कि स्टे लागू रहने तक गोपालनारायण सिंह न ती संगठन की कोई बैठक ले सकते हैं और न ही संगठन में सदस्य बना सकते हैं।
एसईसीएल के पत्रों पर लगाई जा चुकी है रोक
ज्ञात रहे कि एसईसीएल महाप्रबंधक द्वारा पूर्व में गोपालनारायण सिंह की संगठन का पदाधिकारी मानते हुए औद्योगिक संबंधों पर चर्चा के लिए आमंत्रित करने पत्र जारी किया गया था। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने गोपालनारायण सिंह के संविधान संशोधन की अपील को खारिज कर दिया था। इसके बाद भी उन्हें एसईसीएल की ओर से आमंत्रित करने के मामले में दायर याचिका पर हईकोर्ट ने पत्रों के प्रभाव व संचालन पर रोक लगाई थी।