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कोरबा : चर्चित परिवहन विभाग का नया कारनामा अपराधिक मामले में संलग्न वाहन का फर्जी तरीके से किया नामांतरण, फाइनैंसर, अधिकारी और दलाल की मिलीभगत के हुआ ये कारनामा।

ओमप्रकाश साहू

कोरबा: परिवहन विभाग और उसके कारनामे समय समय पर सभी का ध्यान आकर्षण करते रहते हैं, आज एक ऐसा मामला आपके सामने हम रखने जा रहे हैं, RTI एक्टिविस्ट जीतेन्द्र साहू ने हमे जानकारी दी के एनडीपीएस एक्ट के तहत जिस गाड़ी को जप्त कर न्यायालय में प्रस्तुत किया गया और न्यायालय ने शशर्त वाहन स्वामी को सुपुर्द किया साथ ही हिदायत देते हुए वाहन में किसी प्रकार का परिवर्तन या फिर बिक्री नामा न करने का आदेश दिया था। उस आदेश को भी कोरबा के आरटीओ एजेंट एवं अधिकारी पलट सकते हैं इतनी दिव्य शक्ति केवल और केवल आरटीओ के दलाल और अधिकारियों के पास ही है । मामला है जमनीपाली निवासी भागीरथ यादव का जिनकी गाड़ी स्विफ्ट डिजायर क्रमांक CG 12 R 4488, दीपक थाना क्षेत्र अंतर्गत गांजा तस्करी में पकड़ी गई थी और पुलिस द्वारा न्यायालय समक्ष प्रस्तुत किया गया वाहन स्वामी को ओरिजिनल दस्तावेज जमा करने के आदेश दिए गये साथ ही गाड़ी को बेच नहीं सकता, कलर चेंज नहीं करा सकता है या फिर किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं होना चाहिए यह आदेश दिया गया। इसी बीच कोरोना के दौरान वाहन स्वामी उक्त स्विफ्ट डिजायर का किस्त नहीं पटा पा रहा था जिस पर कोरबा स्थित चोलामंडलम फाइनेंस कंपनी ने गाड़ी को सीज कर अपने कब्जे में ले लिया। चोलामंडलम के अधिकारियों ने इस गाड़ी को कोरिया निवासी वसीम अंसारी को बड़ी ही चालाकी के साथ बेचा और नामांतरण का काम आरटीओ एजेंट संतोष राठौर दिया गया चुकी कथित तौर पर इनके रिश्ते अधिकारी से बहुत अच्छे है। इस गाड़ी का आर सी और इंश्योरेंस न्यायालय में जमा  था, और नाम ट्रान्सफर करने के लिए इसकी जरुरत होती है आवशक्तानुसार डुप्लीकेट आरसी बुक पूर्व वाहन स्वामी के नाम से फर्जी आवेदन कोरिया ज़िला के चर्चा थाना में देकर बनवा लिया गया, साथ ही साथ पूर्व वाहन स्वामी के फर्जी दस्तावेज एवं फर्जी हस्ताक्षर को लगाकर वाहन के नामांतरण की प्रक्रिया को पूर्ण कर ली गई (INN24 वर्तमान वाहन स्वामी पर किसी भी प्रकार के आरोप नहीं लगा रहा है साथ ही साथ उनको इस पूरे मामले की जानकारी थी या नहीं इसकी पुष्टि भी नहीं करता) अब एजेंट संतोष राठौर ने इस पूरे काम को बड़ी ही सफाई के साथ कोरबा डीटीओ शशिकांत कुर्रे की सहायता से बड़ी ही सफाई के साथ अंजाम दे दिया, हम आपको बताना चाहेंगे की दस्तावेजों में भी छेड़खानी की गई है जिसके सबूत INN24 के पास है l

कोरबा डी टी ओ शशिकांत कुर्रे कि मौन स्वीकृति 

भ्रष्टाचार का गढ बन चुके आरटीओ ऑफिस पर इससे पूर्व भी कई आरोप लगे हैं, आरटीओ अधिकारी ना ही अपने कार्यालय में समय सीमा में उपस्थित रहते हैं न हीं उनके आने और जाने का कोई समय सुनिश्चित है, ये अंदाजा लगाना मुश्किल है कि उनका अप्प्रोवल कब होगा और कहा होगा क्योकि प्रतेक फाइल अंतिम रूप लेने के लिए उनकी टेबल में ही जाती है l पूर्व में भी INN24 द्वारा कई मामलों का खुलासा एवं कई सारी शिकायतों पर शशिकांत कुर्रे का बयान लेने का प्रयास किया पर शशिकांत कुर्रे द्वारा मीडिया के ही लोगों को धमकाया जाता है और देख लूंगा कहा जाता है। आज यह स्थिति उत्पन्न हो चुकी है के आरटीओ कार्यालय में सामान्य व्यक्ति का प्रवेश वर्जित है उस पूरे कार्यालय में एक भी चेयर नहीं है जिसमे आगंतुक बैठ सके। मेन गेट को थोड़ा सा खोल कर रखा जाता है और साथ ही साथ ऑफिस का चपरासी पूछ के एंट्री करवाता है । आम आदमी प्रवेश नहीं कर सकते हैं पर दलाल अपना काम कराने के लिए बेधड़क आते जाते हैं । भ्रष्टाचार अपने चरम पर है और वरीय अधिकारी चाहे वो जिला के हो चाहे वह राज्य के हो उनसे शिकायत की जाती है पर कार्यवाही के नाम पर सिर्फ जांच चल रही है ।

रिश्तों और रिश्वत से होते है काम आसान 

इस पूरे मामले में कई ऐसे पेचीदा काम थे जिसमें फाइनेंसर द्वारा नियमों को ताक पर रखा गया,  एजेंट संतोष राठौर द्वारा अधिकारी शशिकांत कुर्रे से नजदीकी का फायदा उठाकर इस पूरे काम को अंजाम दिया गया, साथ ही साथ पूर्व वाहन स्वामी के भी दस्तखत फर्जी तरीके से किए गए। शासन प्रशासन को गुमराह किया गया राजस्व का नुकसान हुआ , इस पुरे प्रक्रिया में सबसे पहले  गाड़ी सीज होने उपरांत चोलामंडलम कंपनी के नाम से नामांतरण होना था उसके बाद चोलामंडलम ने जब गाड़ी वसीम अंसारी को बेची तब उनके नाम से गाड़ी का नामांतरण होना था इस पूरे प्रक्रिया में चोलामंडलम को 5000 से 10000 का अतिरिक्त खर्च लगता कुछ खर्च को बचाने के लिए फर्जी दस्तावेज फर्जी हस्ताक्षर फर्जी फोटो लगाकर वाहन का नामांतरण सीधे नए वाहन स्वामी के नाम से कर दिया गया

पूर्व वाहन स्वामी को जानकारी नहीं 

पूरे मामले में पूर्व वाहन स्वामी भागीरथी यादव से जब हमने बात की तब उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी गाड़ी चोलामंडलम को सौंप दी थी क्योंकि वह किस्त नहीं पटा रहे थे उसके बाद उक्त वाहन के साथ क्या हुआ उसकी जानकारी उन्हें नहीं है । हमने जब पूछा कि आप ने आरसी बुक की गुम हो जाने की शिकायत कहीं दर्ज कराई है तब उनका कहना था आर सी बुक तो मैंने न्यायालय में जमा कर दिया है तो मैं कंप्लेन क्यों करूंगा, जब उन्हें यह पता चला कि गाड़ी किसी और को बेंच दी गई है तब उन्होंने कहा कि न ही उन्होंने किसी भी प्रकार के फॉर्म में साइन नहीं किया है ना ही कहीं पर आवेदन दिया है कि आरसी बुक गुमहोने की बात और इस पूरे मामले को अपनी जानकारी से परे बताया ।

https://youtu.be/S7xv070hZoo

चोलामंडलम : वाहन हमने नहीं वाहन स्वामी ने बेंचा

चोलामंडलम के लीगल एडवाइजर से जब हमारी टीम ने बात किया तब उनका कहना था कि उक्त वाहन को भागीरथ यादव द्वारा ही विक्रय किया गया है इसमें चोलामंडलम का किसी भी प्रकार का कोई भूमिका नहीं है ।

सफाई से हुआ काम 

चोलामंडलम के मैनेजर एवं सेल्स टीम के इस कारनामे से एवं एजेंट संतोष राठौर और आरटीओ के संबंधित विभाग के अधिकारी एवं कोरबा डीटीओ के मिलीभगत से इस प्रकार के कई सारे काम बड़ी सफाई के साथ किए जाते हैं अब देखना क्या होगा अधिकारी इस पर क्या एक्शन लेते हैं और गुनहगारों को हमेशा की तरह प्रश्रय मिलता है या कोई कार्रवाई होती है ।

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