आई.पी.एस. दीपका में हरेली पर्व के उपलक्ष्य में आयोजित हुए विभिन्न रंगारंग कार्यक्रम…वृक्षारोपण कर दिया हरियाली का संदेश..

हरेली पर्व के उपलक्ष्य में गिल्ली-डंडा, कबड्डी, रस्सी खींच, फुगड़ी, डंडा पचरंगा,सत्तुल इत्यादि खेलों का आनंद लिया विद्यार्थियों ने

कोरबा : किसानों का यह अपना त्यौहार है जिसे वह अपने दवारा इस्तेमाल में लायी जाने वाली हल, बैल, और तरह-तरह के औजार जो खेती बाड़ी में काम आते हैं की पूजा करते हैं. सावन की अमावस्या को मनाया जाने वाला पर्व हरेली तिहार बस्तर में बडे ही धुम-धाम से मनाया जाता है। यह छत्तीसगढ़ के बस्तर का मुख्य रूप से महत्वपूर्ण त्यौहार है। हरेली त्यौहार हर साल सावन के अमावस्या को मनाया जाता है. ये त्यौहार छत्तीसगढ़ी जीवन शैली और प्रकृति से जुड़ा हुआ है.

हरेली यानी कि हरियालीः हरेली का अर्थ होता है हरियाली, इस दिन छत्तीसगढ़वासी पूजा अर्चना कर पूरे विश्व में हरियाली छाई रहने की कामना करते हैं. उनकी कामना होती है कि विश्व में हमेशा सुख शांति बनी रहे. हरेली तिहार जो जुलाई और अगस्त के बीच वर्षा ऋतु में होता है। सावन के महीने में हरियाली की चादर ओढ़े धरती का श्रृंगार देखते ही बनाता है। यह त्यौहार श्रावण के महीने के प्रारंभ को दर्शाता है जो कि हिंदुओं का पवित्र महीना है। इस त्यौहार को इन्हीं कामनाओं के साथ अच्छे से पवित्र मन के साथ मनाया जाता है।

दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल द्वारा हरेली पर्व के उपलक्ष्य में बच्चों द्वारा वृक्षारोपण कर हरियाली के महत्व को बताते हुए पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया गया । विद्यालय में अध्ययनरत विभिन्न कक्षाओं के विद्यार्थियों के द्वारा छत्तीसगढ़ की माटी एवं छत्तीसगढ़ी लोक कला का बखान करने वाली सुआ, करमा, राउत नाचा, जस गीत आदि रमणीय एवं मनमोहक गीतों पर अपनी मनभावन नृत्य से समां बाँध दिया ।

विद्यालय के खेल शिक्षक श्री लीलाराम यादव एवं सुमन महंत ने विद्यालय में विभिन्न क्षेत्रीय खेलों का आयोजन कर विद्यार्थियों को छत्तीसगढ़ के खेलों से अवगत कराया।विद्यालय में विद्यार्थियों ने गिल्ली-डंडा, कबड्डी, रस्सी खींच, डंडा पचरंगा, सत्तुल इत्यादि खेलों का आनंद लिया।

इस अवसर पर विद्यालय प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने बताया कि हरेली तिहार किसानों का सबसे बड़ा व महत्वपूर्ण त्योहार है। हरेली शब्द हिंदी शब्द ‘हरियाली’ से उत्पन्न हुआ है हरेली जिसे हरियाली के नाम से भी जाना जाता है इसे छत्तीसगढ़ में प्रथम त्योहार के रुप में माना जाता है। हरेली त्योहार किसान लोक पर्व हरेली पर खेती-किसानी में काम आने वाले उपकरण और बैलों की पूजा किया जाता है।

करीब डेढ़ माह तक जी तोड़ मेहनत करते किसान लगभग बुआई और रोपाई का कार्य समाप्त होने के बाद अच्छी फसल की कामना लिये सावन के दूसरे पक्ष में हरेली का त्योहार मनाते हैं जो किसानो के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन किसान खेती में उपयोग होने वाले सभी औजारों की पूजा करते हैं। गाय बैलों की भी पूजा की जाती है। और गेंड़ी सहित कई तरह के पारंपरिक खेल भी हरेली तिहार के आकर्षण होते हैं।

सुबह से ही किसान अपने जीवन सहचर पशुधन और किसान की गति के प्रतीक कृषियंत्र नांगर हल, जुड़ा, चतवार, हंसिया, टंगिया, बसूला, बिंधना, रापा, कुदारी, आरी, भँवारी के प्रति कृतज्ञता अर्पित करते हैं। और किसानिन घर में पूरे मन से गेंहू आटे में गुड़ मिलाकर चिला रोटी बडा बनाती है।

चिला रोटी, बड़ा कृषियंत्रों को समर्पित किया जाता है। छत्तीसगढ़ हम जहाँ रहते हैं वहाँ की संस्कृति व परंपरा को हमें आत्मसात करना चाहिए। कला एवं संस्कृति के विकास में ही निहित सभ्यता का विकास निहित होता है। हमें हमेशा अपनी कला, संस्कृति व परंपराओं को सहेजकर रखने का प्रयास करना चाहिए।

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