ChhattisgarhKorbaछत्तीसगढ

आई.पी.एस. दीपका में मनाया गया मातृ-पितृ पूजन दिवस

माता-पिता का आशीर्वाद ही जीवन की सबसे बड़ी दौलत है। उनके चरणों में समर्पण और उनके प्रति सम्मान ही हमारी सच्ची श्रद्धा है - डॉ. संजय गुप्ता

किसी भी मनुष्य के व्यक्तित्व निर्माण में उसके माँ की ममता, स्नेह एवं पिता के द्वारा दिया अनुशासन सबसे अहम भूमिका रखते हैं ।

हिंदु धर्म में माता-पिता को भगवान का रूप माना जाता है । एक शिशु को कुछ भी सीखता है सबसे पहले अपने माता-पिता से सीखता है । ना सिर्फ हिंदु धर्म में बल्कि विश्व के हर क्षेत्र हर समाज और हर राज्य में माता-पिता को सम्मान दिया जाता है ।

मनुष्य का जीवन अनेक उतार चढ़ाव से होकर गुजरता है । उसकी नवजात शिशु अवस्था से लेकर विद्यार्थी जीवन फिर गृहस्थ जीवन तत्पश्चात मृत्यु तक वह अनेक प्रकार के अनुभवों से गुजरता है । अपने जीवन में वह अनेक प्रकार के उत्तरदायित्वों का निर्वाह करता है । परंतु अपने माता-पिता के प्रति कर्त्तव्य व उत्तरदायित्वों को वह जीवन पर्यन्त नहीं चुका सकता । माता-पिता का संतान पर असीमित उपकार होते हैं । इस उपकार की भरपाई करना असंभव है ।

बच्चों के लिए उनके प्रथम व द्वितीय गुरू माता और पिता होते हैं । इसलिए तो कहा जाता है – माताः पिताः गुरू दैवं ।

कहा जाता है कि भगवान हर किसी के घर नहीं आ सकते इसलिए अपने प्रतिरूप के स्वरूप माता-पिता को हर किसी के घर भेजते हैं । माता-पिता की महिमा को शब्दों में बाँधना नामुमकिन है । कहा जाता है जहाँ सारा संसार सिमट जाता है वह स्थान माँ का आँचल होता है ।

माता-पिता हमारा ख्याल रखते हैं और बचपन से लेकर बड़े होने तक बिना कोई स्वार्थ के वे हमारी हर बातों का ध्यान रखते हैं । न जाने कितनी रातों की नींद और दिन का चैन उन्होने हमारे लिए गंवाए होंगें । हमारा कर्त्तव्य होता है कि हम अपने माता-पिता का सम्मान करें और साथ ही ताउम्र उनका ख्याल रखें ।

*दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में माता-पिता के* इसी सदा और शाश्वत महत्व को बरकरार रखने व माता-पिता का जीवन में महत्व बताने के उद्देश्य से ‘मातृृ-पितृ पूजन दिवस‘ का आयोजन किया गया। मातृ-पितृ पूजन का प्रारंभ माँ सरस्वती की वंदना एवं आगन्तुक अभिभावकों एवं अतिथियों के सम्मान में प्रस्तुत स्वागत गीत से हुई । इस मनमोहक वंदना एवं स्वागत गीत प्रस्तुति का आनंद उपस्थित सभी अभिभावकों एवं अतिथियों ने लिया । नर्सरी कक्षा से लेकर कक्षा दसवीं तक के लगभग सभी विद्यार्थियों के माता-पिता ने इस कार्यक्रम का आमंत्रण स्वीकार कर ससम्मान उपस्थित हुए । कार्यक्रम की शुरूआत बच्चों ने अपने माता-पिता के माथे पर अक्षत एवं रोली का तिलक लगाकर एवं दीपक जलाकर एवं पुष्प अर्पित कर विधिवत रूप से पूजन कर किया । सभी बच्चों ने माता-पिता के चरण छूकर आशिर्वाद लिया ।

इस अवसर पर विशेष रूप से

मातृ-पितृ पूजन दिवस के आयोजन को विशेष गरिमा प्रदान करने हेतु श्री योगवेदांत समिति कोरबा से श्री लोकचंद तिलवानी(संरक्षक), श्री ईश्वरी प्रसाद साहू (अध्यक्ष) , मनीराम पटेल (मुख्य सेवाधारी), चंद्रपाल यादव (प्रमुख प्रभारी,) राजू भाई (साधक) , राम गोविंद देवांगन, अविनाश सिंह ,अंजू ,हेमा बहन, नारायण देवांगन, का विशेष सहयोग रहा ।

*उपस्थित अभिभावक श्रीमती अंजली शर्मा ने* कहा माता-पिता जीवन में एक बार ही मिलते हैं और इनकी तुलना दुनिया के किसी भी वस्तु से नहीं की जा सकती । ये अनमोल हैं । विद्यालय में इस प्रकार के आयोजन से बच्चों में नैतिकता के गुण विकसित होते हैं एवं इस प्रकार का आयोजन संस्कारों के संवर्धन के लिए आवश्यक है ।

*अभिभावक श्रीमती रोशनी ने कहा कि* हम जीवन पथ पर चाहे कितनी भी ऊचाई पर पहुँचे हमें कभी अपने माता-पिता का सहयोग, उनके त्याग और बलिदान को नहीं भूलना चाहिए ।

*श्री ईश्वरी प्रसाद साहू ने कहा कि* माता-पिता का योगदान अतुलनीय एवं अद्वितीय होता है । इनकी कमी दुनिया में कोई पूरी नहीं कर सकता ये हमारे सामने जीते-जागते ईश्वर के स्वरूप होते हैं ।

*विद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने आगंतुक सभी* अभिभावकों को संबोधित करते हुए कहा कि आज पूरी दुनिया में पाश्चात्यीकरण का प्रभाव हमें देखने को मिल रहा है ,इस बदलते हुए परिवेश में भी हमें अपनी संस्कृति व संस्कार कभी नहीं भूलना चाहिए ।14 फरवरी को हम किसी पाश्चात्य सभ्यता का परिपालन ना करते हुए मातृ पितृ पूजन दिवस के रूप में हर एक पल को साकार करें। संसार में यदि हमारा कुछ भी अस्तित्व है या हमारी इस जगत में कोई भी पहचान है तो उसका संपूर्ण श्रेय हमारे माता-पिता को ही जाता है । यही कारण है कि भारत के आदर्श पुरूषों में से ऐसे ही भगवान श्री राम ने अपने माता-पिता के एक आदेश पर ही युवराज पद का मोह त्याग दिया और घर चले गए । माता-पिता सदैव हमें सद्मार्ग में चलने की प्रेरणा देते हैं ।

एक बच्चे के लिए उनके अभिभावक द्वारा दिया जाने वाला सबसे बड़ा उपहार उसका जीवन होता है । इसलिए हर मनुष्य के लिए सृष्टी में प्रथम पुज्य उसके माता-पिता है ।

Related Articles