अंधेकत्ल की गुत्थी सुलझाने में नैला पुलिस को मिली सफलता

जांजगीर – प्रार्थी जितेन्द्र कश्यप निवासी वार्ड नंबर 04 नैला द्वारा चौकी नैला में दिनांक 14.04.23 को रिपोर्ट दर्ज कराया कि इसका पिता संतोष कश्यप दिनांक 13.04.23 के रात्रि 08.00 बजे घर से बिना बताये कही चला गया है जिस पर नैला में गुम इंसान क्रमांक 12/23 कायम कर जांच में लिया गया। दिनांक 15.04.23 को जितेन्द्र कश्यप को इसके पिता संतोष कश्यप का शव नवागढ़ मुख्य नहर में मिलने की जानकारी प्राप्त होने पर नवागढ़ गया तो उक्त शव को अपने पिता के रूप में पहचान किया जिस पर थाना नवागढ़ में मर्ग क्रमांक 25/23 धारा 174 जा.फौ. कायम किया गया। मर्ग जांच के दौरान मृतक के परिजनों, शव का परीक्षण एवं पोस्ट मार्टम कराया गया। गुम इंसान एवं मर्ग जांच के दौरान मृतक के पुत्र जितेन्द्र कश्यप से पूछताछ करने पर वह बताया कि घटना के संबंध में मां से पूछने पर उसकी मां रतन बाई कश्यप ने उसे बताया कि अवैध संबंध के शक में उसके पिता आये दिन वाद-विवाद एवं लड़ाई झगड़ा करते थे। दिनांक 13.04.23 को इसके पिताजी काम करके रात्रि 08.00 बजे घर वापस आये जो नशे के हालत में थे जो पुनः वाद-विवाद करने लगे। प्रतिदिन के वाद-विवाद से छुटकारा पाने के लिये इसकी मां द्वारा हत्या की योजना बनाते हुये अपने दामाद रामेश्वर कश्यप उम्र 25 वर्ष निवासी खपरीटांड थाना मुलमुला को फोन करके बुलाई। जब इसके पिताजी सो गये तो इसकी मां एवं इसके बहन का पति दोनों मिलकर उसके गले को दबाये और साड़ी के किनारे में लगे पट्टी को निकालकर पट्टी को गले में फंसाकर गला घोट दिये। जिसे मरा हुआ समझकर शव को ठिकाने लगाने के उद्देश्य से अपने दामाद के मोटर सायकल में बीच में बैठाकर नहरिया बाबा मंदिर के पास बहते पानी में दिनांक 13.04.23 के रात्रि बहा दिये थे। मर्ग जांच पर आरोपियों के विरूद्ध चौकी नैला थाना जांजगीऱ में अपराध क्रमांक 275/23 धारा 302,201, 34 भादवि पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।
आरोपी पत्नी श्रीमती रतन बाई कश्यप निवासी वार्ड क्रमांक 04 नैला एवं रामेश्वर कश्यप निवासी खपरीटांड थाना मुलमुला को पुलिस हिरासत में लेकर पूछताछ करने पर घटना को अंजाम देना स्वीकार करने पर दोनों आरोपियों को दिनांक 17.04.23 को न्यायिक रिमाण्ड में भेजा गया।
अंधेकत्ल की गुत्थी सुलझाने में उनि गजालाल चंद्राकर, प्र.आर. राजकुमार चंद्रा, म.प्र.आर. राजकुमारी, आर. महेश राठौर, शैलेन्द्र राठौर, चंद्रशेखर कैवर्त्य एवं गोपाल राजवाड़े का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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